हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिलकिस बानो मामले के दोषियों की रिहाई पर सुनवाई की गई है। सोमवार को बिलकिस बानो की याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्र, गुजरात राज्य और मामले के 11 दोषियों को नोटिस भी जारी किया गया है।
दरअसल 2002 में, गुजरात दंगे के दौरान हुआ बिलकिस बानो गैंगरेप मामला एक बार फिर एक बड़ी चुनौती लेकर आया है। दरअसल, गुजरात में गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या की गई थी। इस अपराध में शामिल उम्र कैद की सजा काट रहे 11 अपराधियों को 15 अगस्त 2022 के दिन गुजरात सरकार ने सजा से मुक्त कर दिया गया।
बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में सजा काट रहे इन 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली थी लेकिन पिछले साल उनकी रिहाई हो गई, जिसके बाद बिलकिस बानो के पति याकूब रसूल ने यह बताया कि इस ख़बर को सुनकर वे हिल गए हैं। साथ ही उनका कहना रहा कि सालों तक बिलकिस बानो और उन्होंने ने जो लड़ाई लड़ी वो अब खत्म लग रही है। इतना ही नहीं जब जेल से बाहर आने पर दोषियों का स्वागत मिठाई खिलाकर और माला पहनकर किया गया तो बिलकिस बानो की भयावहता और अधिक बढ़ गई।
लेकिन अपने दोषियों को अंत तक सजा दिलाने के लिए बिलकिस बानो ने एक बार फिर 30 नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे को लेकर याचिका दायर की थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी गुजरात सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले पर आपत्ति जताई है।
कौन है बिलकिस बानो? क्या है बिलकिस बानो गैंगरेप कांड
साल 2002 में गुजरात के अंदर सांप्रदायिक दंगा आगजनी, तोड़फोड़ हुए। इसी दौरान कुछ सांप्रदायिक दंगाइयों ने मिलकर बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया। इतना ही नहीं बिलकिस बानो के परिवार के 14 सदस्यों की हत्या भी की जिसमें बिलकिस बानो की तीन साल कि बेटी भी शामिल थी। इतना ही नहीं जिस दौरान दंगाइयों द्वारा गैंगरेप किया गया था उस वक़्त बिलकिस बानो 5 महीने की गर्भवती थी और उनके साथ-साथ उनकी मां व तीन अन्य महिलाओं के साथ भी बलात्कार किया गया था।
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कई रिपोर्ट्स के मुताबिक यह बताया जाता है कि गैंगरेप की घटना के तीन घंटे बाद बिलकिस बानो को होश और फिर उन्होंने एक आदिवासी महिला से कपड़े मांग कर अपने शरीर को कवर किया था और फिर वहीं से बिलकिस बानो लिमखेडा पुलिस स्टेशन शिकायत दर्ज कराने पहुंच गई।
बिलकिस बानो ने अपने और अपने परिवार के साथ हुए इस अपराध के खिलाफ आवाज उठाई। इस मामले के कोर्ट पहुंचते ही सीबीआई जांच की कार्यवाही शुरू कर दी गई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले lको गुजरात से महाराष्ट्र में आगे की कार्यवाही के लिए भेज दिया गया। महाराष्ट्र की सत्र अदालत ने साल 2008 में इस बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 लोगों को गैंगरेप और हत्या का दोषी करार करते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन इस मामले में 15 साल बाद गुजरात सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए सभी 11 दोषियों को रिहा करवा दिया है। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले को यथासंभव बरकरार रखा था।
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कैसे मिल गई गैंगरेप दोषियों को आजीवन कारावास से मुक्ति
दरअसल, उम्र कैद की सजा पाने वाले दोषियों को कम से कम 14 साल की सजा तो काटनी ही होती है। लेकिन फिर 14 साल के बाद उनकी फाइल को एक बार रिव्यु में डाला जाता है। फिर उम्र, अपराध की प्रकृति और जेल में व्यवहार इन पक्षों को देखते हुए उनकी सजा घटाई भी जा सकती है। यदि सरकार को ऐसा लगता है कि कैदी ने अपने जुर्म के मुताबिक सजा काट ली है तो उसको जेल से मुक्त भी किया जा सकता है।
बिलकिस बानो मामले में 14 अपराधियों को गुजरात सरकार ने उम्र कैद की सजा से माफ करने का फैसला सुना दिया है। लेकिन इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा विचार करने का सुझाव भी दिया। ऐसे में सुजल मायात्रा के नेतृत्व में एक कमेटी तैयार की गई थी, इस कमेटी ने कैदियों को माफ करने के लिए सर्वसम्मति से फैसला लिया। कमेटी द्वारा राज्य सरकार को सिफारिश भी भेजी गई और उसके बाद दोषियों को रिहाई का आदेश प्राप्त हुआ। लेकिन इन सभी के बावजूद गुजरात सरकार के इस फैसले की निन्दा की जा रही है। इतना ही नहीं कुछ राजनीतिक पार्टियों के नेताओं और पत्रकारों द्वारा भी इस फैसले पर तीखे सवाल किए जा रहे हैं।
इसी के साथ मानवाधिकार मामलों के वकील शमशाद पठान द्वारा पीटीआई को यह बयान दिया गया कि बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में गुजरात सरकार द्वारा दोषियों को रिहा करने का जो फैसला लिया गया है, उस फैसले से लोगों का विश्वास सरकारी व्यवस्थाओं पर से उठने लगेगा।
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सुप्रीम कोर्ट की बात करें तो, हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जोसेफ ने गुजरात के वकील को यह आदेश दिया है कि सुनवाई की अगली तारीख पर दोषियों की रिहाई से संबंधित सभी फाइलें तैयार रखें।