हमारे देश में कई ऐसी एतिहासिक इमारतें हैं, जो बहुत ही विचित्र हैं। मुख्य रूप से राजस्थान में तो ऐसी प्राचीन इमारतों की प्रचुरता है, जो कई साल पुरानी हैं। यही प्राचीन और खूबसूरत इमारतें देश की शान-शौकत हैं। तो इस आर्टिकल में आपको एक ऐसी ही इमारत के बारे में बताएंगे। इस इमारत के बने हुए 300 साल पूरे हो गए हैं।
कहां है यह महल?
यह अद्भुत इमारत जलमहल है। जलमहल राजस्थान की गुलाबी नगरी के मानसागर झील के बीच में स्थित है। यह महल अरावली की पहाडिय़ों में झील के ठीक मध्य में स्थित है। यही वजह है कि इस महल को “आई बॉल” और ‘द वाटर पैलेस’ के नाम से भी जानते हैं।यह महल मध्यकाल महलों के जैसे बुर्जो, मेहराबों, सीढीदार, छतरियों एवं जीनों से युक्त दुमंजिला और वर्गाकार आकार बना है। जयपुर का यह महल अब पक्षी अभयवन के तौर पर विकसित हो रहा है। आपको बता दें कि इस महल की नर्सरी में 1 लाख से ज्यादा पेड़ लगे हैं।
क्या है जलमहल का इतिहास? | History of Jal Mahal
राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 18वीं शताब्दी में जलमहल (Jal Mahal) का निर्माण करवाया था। आपको बता दें कि अश्वमेघ यज्ञ के बाद उन्होंने इस महल का निर्माण अपनी रानियों और पंडितों के साथ स्नान करने के लिए कराया था।इसको बनाने से पहले राजा जयसिंह ने गर्भावती नदी पर मानसागर झील बनवाई थी। इस झील का निर्माण इसलिए कराया गया था ताकि जयपुर में रहने वाले सभी लोगों के लिए पानी की पूर्ति की जा सके।
सन 1799 ईस्वी में उन्होंने मानसागर झील का निर्माण कराया था। बता दें कि राजपूत प्रणाली से बनी नावों का प्रयोग इस झील के निर्माण के लिए किया गया था। इस महल का इस्तेमाल राजा सवाई जय सिंह अपनी रानियों के साथ अच्छा वक्त बिताने लिये भी करते थे। साथ ही जलमहल में त्यौहारों पर उत्सवों का इंतजाम भी किया जाता था।
जयपुर के जलमहल के कुछ रोचक तथ्य | Interesting Facts about Jal Mahal
जलमहल (Jal Mahal) में बने खूबसूरत टैरेस गार्डन को चमेली उपवन के नाम से जाना जाता है।
लोगों का ऐसा मानना है कि इस महल का निर्माण अकाल के समय में हुआ था जब झील की सतह पूरी तरह सूख गई थी। इस वजह से जब इसका निर्माण हुआ तो यह पूरी तरह से दिख रहा था।
इस इमारत को एक पिकनिक स्पॉट के तौर पर में बनाया गया था इस वजह से इसके अंदर कोई निजी कक्ष नहीं हैं।
इस खूबसूरत महल का निर्माण इतनी ज्यादा मजबूती से हुआ है कि यह पानी को अंदर आने से रोकता है। इस महल की दीवारों को अधिक मजबूत बनाने के लिए चूना पत्थर का प्रयोग हुआ था।
जयपुर का यह महल अब पक्षी अभयवन के तौर पर विकसित हो रहा है। इस महल की नर्सरी में 1 लाख से ज्यादा पेड़ लगे हैं। खास बात तो यह है कि यह राजस्थान का सबसे उंचे वृक्षों वाला नर्सरी है।
यह अद्भुत इमारत झील में डूबी रहती है, यहां नाव की सवारी से ही पहुंचा जा सकता है। सरकार द्वारा इस महल को एक संरक्षित संपत्ति घोषित कर दिया गया है। इस वजह से आज के समय में नाव की सवारी व महल में प्रवेश वर्जित है।
इसका निर्माण करने के लिए लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है। अष्टकोणीय आकृति में बनाए गए 4 विशाल छत्र महल के चारों कोनों को अलंकृत करते हैं। इस महल की छत पर एक दीर्घ बंगाल शैली का आयताकार छतरी भी तत्पर है।
इस झील के भीतर न्यूनतम गहराई 4.9 फीट और अधिकतम गहराई 15 फीट है। यह मुगल स्थापत्य शैली के महत्व के अलावा वास्तुकला की राजपूत शैली में गठित 5 मंजिला इमारत है। वहीं इसकी 4 मंज़िलें पानी के भीतर हैं। इसी वजह से सिर्फ महल का शिखर ही दिखता है। यही वजह है कि लोगों को ऐसा लगता है कि यह महल झील के पानी में तैरता है।
जलमहल घूमने का सबसे बेहतर समय क्या है? | Best Time to Visit Jal Mahal
राजस्थान एक रेगिस्तानी राज्य है इस वजह से वहां बहुत अधिक गर्मी पड़ती है। जलमहल (Jal Mahal) में अप्रैल से जून तक धूप होती है और इस दौरान मौसम का तापमान बहुत अधिक होता है। जलमहल घूमने के लिए आप वसंत ऋतु या फिर सर्दियों के महीनों में जाएं। इस समय यहां का मौसम बहुत अच्छा होता है। आप सितंबर से मार्च तक इस जगह घूमने जा सकते हैं। यह वक्त गुलाबी नगरी में छुट्टियों का आनंद लेने और यहाँ पर मशहूर स्थलों को घूमने के लिए काफी बेहतर है। इन महीनों में तापमान बहुत अच्छा रहता है। हां, लेकिन आप ऊनी कपड़े ले जाना बिलकुल मत भूलना।
कैसे पहुंचे जलमहल? | How to reach Jal Mahal
दिल्ली से जयपुर जाने के लिए बहुत सारी बसें चलती हैं। इसके साथ ही हर बड़े रेलवे स्टेशन से जयपुर जाने के लिए ट्रेन तो मिल ही जाती है। यदि आप चाहते हैं तो रोड के जरिए भी जयपुर जाने का प्लान बना सकते हैं। आपको बता दें कि जयपुर के अजमेरी गेट से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में आपने भारत के उस अनोखे महल के बारे में जाना जो पानी में तैरता है। आप इस महल को अब दूर से देखने के लिए ही जा सकते हैं क्योंकि सरकार ने इस महल को एक संरक्षित संपत्ति घोषित कर दिया है। इस वजह से आज के समय में नाव की सवारी व महल में प्रवेश वर्जित है। यदि आपको इस आर्टिकल से जुड़ी किसी तरह की कोई समस्या हो तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य साझा करें।
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