कहते हैं टेक्नोलॉजी की दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं रहता है. यहां कब क्या हो जाए, ये बताना मुश्किल है. क्योंकि आए दिन नए-नए शोध सामने आ रहे है. जो किसी के लिए हेल्पफुल तो किसी के लिए बेहद ही खतरनाक होते हैं. ऐसा ही कुछ ‘गूगल’ के साथ भी होता हुआ मालूम हो रहा है. मौजूदा वक्त में सर्च इंजन की दुनिया में गूगल अकेला बेताज बादशाह बना हुआ है. दुनियाभर में करीब 90 से 95 फीसद सर्च इंजन मार्केट में गूगल का ही कब्जा है. लेकिन अब गूगल को Chat GPT से जोरदार टक्कर मिलती दिख रही है.
दरअसल Chat GPT को नए जमाने का सर्च इंजन प्लेटफॉर्म कहा जा रहा है, जो कि गूगल से आगे सर्च इंजन की दुनिया है. लोग चैट जीपीटी को लेकर खूब चर्चा कर रहे हैं. दरअसल ये एक जबरदस्त AI टूल हो जो शायद एक दिन ‘Google Search’ की भी छुट्टी कर देगा. अगर आप इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं तो बता दें कि ये पैसे कमाने में भी आपकी बड़ी मदद कर सकता है. अगर आपको लग रहा है कि ऐसा कैसे हो सकता है तो आपको सबसे पहले इसके बारे में अच्छी तरह से जानकारी लेने जरूरी है. तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि चैट जीपीटी कैसे करेगा Google सर्च की छुट्टी?
क्या है Chat GPT की खासियत?
ये एक चैटबॉट है. यानी जिससे आप लिखित रूप में बातें कर सकते हैं. आप अपने सवाल लिखेंगे यह जवाब देगा. इतना ही यह चैटबॉट आपके लिए छुट्टी का ऐप्लिकेशन लिख सकता है, आपके वीडियो के लिए स्क्रिप्ट बना सकता है और कवर लेटर भी लिखकर दे सकता है. Chat GPT आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करता है. यानी आपके सवालों और अपने जवाबों से सीखता जाता है. यहां GPT का फुल फॉर्म Generative Pre trained Transformer है. इसके नाम से ही पता चलता है कि आपके सवालों का जवाब देने वाले AI को बाकायदा ट्रेनिंग दी गई है.
Google सर्च की कैसे करेगा छुट्टी?
Chat GPT सर्च इंजन गूगल से अलग है, क्योंकि जब आप इससे कोई सवाल पूछते हैं, तो वो आपके सवाल का जवाब लिखकर देता है. यह Google जैसे सवाल के जवाब में सैकड़ों-हजारों वेबसाइट के लिंक नहीं पेश करता है. आप भी Google Search का इस्तेमाल करते होंगे तो आपने भी नोटिस किया होगा कि कई बार Google आपके सामने इतने सारे लिंक और वीडियो पेश कर देता है कि आप कनफ्यूज हो जाते हैं. कई बार खुद गूगल भी आपकी बात समझ नहीं पाता कि आप क्या जानना चाहते हैं. लेकिन Chat GPT सवाल का सीधा जवाब देता है. और आज के समय लोगों को सीधे जवाब ज्यादा समझ आते हैं तो फिर गूगल इससे वेस्ट हो ही नहीं सकता है.
30 नवंबर को लॉन्च हुआ Chat GPT
Chat GPT को 30 नवंबर को लॉन्च किया गया है. फिलहाल Chat GPT की टेस्टिंग चल रही है लेकिन यूजर्स का Chat GPT के साथ एक्सपीरिएंस काफी अच्छा रहा है. यह चैटबॉट सवालों के जवाब बिल्कुल सही और सटीक भाषा में देता है. Chat GPT अंग्रेजी लैंग्वेज को सपोर्ट करता है. हालांकि जल्द ही इसमें ज्यादा से ज्यादा भाषाओं का सपोर्ट दिया जाएगा. हालांकि, यह अभी शुरूआती दौर में है. ऐसे में यह Google Search को टक्कर दे पाएगा या नहीं? फिलहाल इस बारे में अभी से किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी.
Chat GPT में कई खामियां भी
Chat GPT के फायदों के साथ अभी इसमें काफी कमियां भी हैं. दरअसल Chat GPT के पास सीमित डेटा है. बहुत सारे ऐसे सवाल हैं जिनका Chat GPT सटीक जवाब नहीं देता है.फिलहाल Chat GPT केवल English भाषा को समझता है और उसी में जवाब देता है. इसके अलावा Chat GPT केवल Research Period तक ही फ्री में Available है, इसके बाद आपको इसका इस्तेमाल करने के लिए चार्ज देना पड़ेगा.इतना ही नहीं, ये सॉफ्टवेयर कुछ नौकरियों के लिए खतरा साबित हो सकता है. दरअसल ये सॉफ्टवेयर इंसान की भाषा समझता है और इंसान की तरह जवाब देता है. ऐसे में कॉल सेंटर की नौकरी करने वाले लोगों और कंटेंट राइटिंग करने वाले लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है. इसके अलावा चैट जीपीटी AI से जुड़े फेक ऐप्स गूगल और ऐपल दोनों के प्ले स्टोर पर देखने को मिल रहे हैं. बता दें कि Google Play Store और Apple ऐप स्टोर दोनों में Chat GPT नाम वाले ऐप हैं, जो AI टूल की लोकप्रियता से फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें से कई ऐप्स के हजारो में डाउनलोड हैं.
शुरुआत में ही विवादों में फंसा Chat GPT
न्यूयॉर्क सिटी के पब्लिक स्कूलों ने Chat GPT बैन कर दिया है. इस टूल के बैन होने के बाद अब न तो कोई छात्र और न हीं शिक्षक इसका इस्तेमाल कर सकेंगे. एजुकेशन डिपार्टमेंट ने इस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टूल को डिवाइसेज और इंटरनेट नेटवर्क से हटा दिया है एजुकेशन डिपार्टमेंट का मानना है कि यह आने वाले दिनों में छात्रों के असाइनमेंट्स लिखना शुरू कर सकता है, जिसमें कई तरह के चीटिंग और प्लेगरिज्म जैसी दिक्कतें आ सकती हैं. ChatGPT की वजह से छात्रों के कुछ सीखने पर भी निगेटिव प्रभाव पड़ेगा और किसी भी कंटेंट की एक्युरेसी पर भी सवाल उठ सकते हैं.आपको बता दें कि न्यूयॉर्क सिटी एजुकेशन डिपार्टमेंट के अलावा इंटरनेशनल मशीन लर्निंग कांफ्रेंस में भी इस टूल पर बैन लगा दिया गया है. जिसके बाद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अकेडमिक्स से जुड़े रिसर्च स्कॉलर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस पॉलिसी का विरोध करना शुरू कर दिया है.
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