जानिए, थायरॉयड के बारे में और इससे बचने के उपाय के बारे में
प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि उसका शरीर सदैव स्वस्थ बना रहे, क्योंकि स्वास्थ्य मनुष्य का सबसे बड़ा धन है। स्वस्थ शरीर से मनुष्य अपने जीवन का प्रत्येक कार्य सरलता से पूरा कर लेता है। स्वस्थ मनुष्य शरीर से ही नहीं बल्कि मन से भी प्रसन्न और स्वस्थ रहता है। लेकिन वर्तमान समय के प्रदूषित वातावरण में बीमारियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में हमारे शरीर में ग्रंथि से जुड़े रोग भी उत्पन्न होते हैं। जिसमें थायरॉयड ग्रंथि से संबंधित थायरॉयड रोग भी शामिल है।
दरअसल, मनुष्य के पूरे शरीर में ग्रंथियां पाई जाती हैं। यह ग्रंथियां शरीर के अंदर ऐसे पदार्थ बनाती है जिससे आपके शरीर को एक विशिष्ट कार्य करने में मदद मिलती है। इसी प्रकार शरीर में मौजूद थायरॉयड हार्मोन, आपके शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करने में मदद करता है। यदि यह ग्रंथि असंतुलित हो जाती है तो इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। ऐसे में थायराइड ग्रंथि का असंतुलन आपके शरीर में हाइपरथायरायडिज्म तथा हाइपोथायरायडिज्म इन दोनों स्थितियों को पैदा करता है। जिसे संतुलित करना अत्यंत आवश्यक है।
आज के आर्टिकल के जरिए हम विशेष रूप से थायरॉयड रोग के विषय में ही जानकारी प्रदान करने वाले हैं। जिसमें हम आपको थायरॉयड रोग के लक्षण, उपाय और आयुर्वेदिक उपचार से जुड़ी सभी जानकारी प्रदान करने वाले हैं। अतः इससे संबंधित समस्त जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारा लेख अंत तक अवश्य पढ़ें।
थायरॉयड रोग
थायरॉयड एक ऐसी बीमारी है जो थायरॉयड ग्रंथि से शुरू होती है। थायरॉयड ग्रंथि एक छोटा सा अंग है जो गर्दन के सामने स्थित होता है, जो विंडपाइप (श्वासनली) के चारों ओर लिपटा होता है। यह एक तितली के आकार का होता है, जो बीच में छोटा होता है और दो चौड़े पंख होते हैं जो आपके गले के चारों ओर फैले होते हैं।
यह थायरॉयड ग्रन्थि ट्री–आइडोथाइरोइन (T3) और थाइरोकलविटोनिं (Thyrocalcitonin) नामक हार्मोन स्रावित करती है। ये हार्मोन शरीर के चयापचय दर और अन्य विकास तंत्रों को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा थायरॉयड ग्रंथि का कार्य हड्डियों, पेशियों, लैंगिक तथा मानसिक गतिविधियों को भी नियंत्रित करता है। थायरॉयड महिलाओं में दुग्धस्त्राव को भी बढ़ाती है। आज के समय में महिलाओं में यह थायरॉयड रोग अधिक संख्या में देखा जाने लगा है।
थायरॉयड के लक्षण
थायरॉयड के लक्षण के विषय में जानने से पहले आपको थायरॉयड के प्रकारों को जानना आवश्यक है। दरअसल, थायरॉयड रोग भी दो प्रकार का होता है। एक, थायरॉयड ग्रंथि की अतिसक्रियता और दूसरा, थायरॉयड ग्रंथि की अल्पसक्रियता। ऐसे में थायरॉयड रोग के इन दोनों प्रकारों के लक्षणों को समझना अनिवार्य है।
- थायरॉयड ग्रंथि की अतिसक्रियता
थायरॉयड ग्रंथि की अतिसक्रियता के चलते शरीर में T4 और T3 harmone का आवश्यकता से अधिक उत्पादन होने लगता है। ऐसे में जब इन हार्मोन्स का उत्पादन अधिक मात्रा में होने लगता है तो शरीर द्वारा ऊर्जा का उपयोग भी अधिक मात्रा में होने लगता है। इसे ही थायरॉयड ग्रंथि की अतिसक्रियता यानि Hyperthyroidism कहते हैं। यह समस्या पुरुषों की तुलना महिलाओं में यह अधिक देखी जाती है। इसकी पहचान इन लक्षणों के माध्यम से की जा सकती है, जो कि निम्नलिखित हैं –
• अधिक घबराहट
• अधिक पसीना आना
• बेहद चिड़चिड़ापन
• बालों का झड़ना व पतला होना
• अनिद्रा की समस्या
• मासिक धर्म की अनियमितता
• मांसपेशियों में कमजोरी
• हाथ कपकपाना
• हड्डियों में कमजोरी
• धंडकन की तेज गति
- थायरॉयड ग्रंथि की अल्पसक्रियता
थायरॉयड ग्रंथि की अल्प सक्रियता के कारण थायरॉयड का दूसरा प्रकार, Hypothyroidism हो जाता है। इसकी पहचान इन लक्षणों के माध्यम से की जा सकती हैं..
• थकावट रहना
• पसीना अधिक आना
• नाखून कमजोर पड़ना
• अत्यधिक तनाव
• आंखों में सूजन आना
• सोचने समझने की असमर्थता
• भूलने की आदत
• कब्ज की समस्या
• बालों का लगातार झड़ना
• मासिक धर्म में अनियमितता
• खून में कोलेस्ट्रॉल बढ़ना
थायरॉयड रोग दूर करने के उपाय निम्नलिखित हैं…
जैसा कि हमने आपको ऊपर थायरॉयड रोग के लक्षणों के बारे में विस्तार से बताया है उसी प्रकार आगे हम थायरॉयड रोग को दूर करने के उपायों के विषय में बात कर लेते हैं।
उपाय नंबर 1. अश्वगंधा चूर्ण
आयुर्वेद में अश्वगंधा चूर्ण काफी फायदेमंद माना जाता है, जो शरीर के हार्मोन्स को नियंत्रित रखता है। अगर आपको थायरॉयड की समस्या है तो रात को सोने से कुछ देर पहले एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गाय के गुनगुने दूध के साथ लें। इसके अलावा आप अश्वगंधा की पत्तियों या जड़ को भी पानी में उबालकर पी सकते हैं।
उपाय नंबर 2. मुलेठी
आयुर्वेदिक शोध के मुताबिक मुलेठी एक ऐसा पदार्थ है जिसमें प्रमुख घटक ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड पाया जाता है जो कि थायरॉयड कैंसर सैल्स को बढ़ने से रोकता है।
उपाय नंबर 3. तुलसी
तुलसी भी थायरॉयड रोग में कारगर साबित होती है। इसमें आप दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच ऐलोवेरा जूस मिलाकर यदि सेवन करते हैं तो आपको काफी फ़ायदा मिलेगा।
उपाय नंबर 4. हरी धनिया
थायरॉयड रोग से बचने के लिए आप हरी धनिया को पीसकर एक गिलास पानी मे घोलकर पीते हैं तो आपको थायरॉयड रोग में काफी हद तक आराम मिलेगा।
उपाय नंबर 5. त्रिफला चूर्ण
थायरॉयड रोग के उपचार में त्रिफला चूर्ण भी अच्छा माना जाता है। ऐसे में प्रतिदिन आप एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन अवश्य करें।
उपाय नंबर 6. हल्दी और दूध
थायरॉयड के घरेलू उपचार में हल्दी और दूध को मिलाकर पीना भी एक अच्छा उपाय माना जाता है।
उपाय नंबर 7. लौकी
थायरॉयड के घरेलू उपचार में लौकी का सेवन भी फायदेमंद साबित होता है। ख़ाली पेट लौकी का जूस पीने से आपको अवश्य फायदा होगा।
उपाय नंबर 8. काली मिर्च
थायरॉयड रोग के घरेलू उपचार में काली मिर्च का सेवन भी अपने खानपान में जरूर शामिल करें।