Rahul Gandhi defamation case: क्या चाहा था क्या सोचा था क्या गुज़री क्या बात हुई, दिल भी टूटा घर भी छूटा रुस्वाई भी साथ हुई.’’ देवमणि पांडे की यह कविता सोनिया के लाल यानि राहुल गांधी के जख्मों पर सटीक बैठ रही है. राहुल (RAHUL GANDHI) राजनीति में अपना एक अलग वर्चस्व बनाना चाहते थे, उनकी सोच देश चलाने की थी. लेकिन अब उनका ये सपना टूटता नजर आ रहा है. और पूरे देश में उनकी बदनामी यानि रुस्वाई भी हो रही है. क्योंकि, मोदी ‘सरनेम’ उनके लिए काल बन गया है. अब राहुल पर क्या बीत रही होगी. इसका हम अंदाजा भी नहीं लग सकते. दरअसल, राहुल गांधी (RAHUL GANDHI) की सांसदी की सदस्यता जाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. बात यहीं तक सीमित नहीं है कि राहुल (RAHUL GANDHI) की सांसदी चली गई, बल्कि उनके पास से 6 साल तक चुनाव लड़ने का अधिकार भी चला गया. यानि अब राहुल 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. क्योंकि, हमारे संविधान में एक ऐसा अधिकार है, जो यह तय करता है किस स्थिति में व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है और किसमें नहीं. लेकिन, कुछ राजनीतिक जानकारों का तो ये भी कहना है कि इसमें कानून नहीं, बल्कि बीजेपी का हाथ है. क्योंकि राहुल को भारत जोड़ो यात्रा के बाद अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा था. जो बीजेपी के लिए ये काल का काम कर सकता था. क्योंकि राहुल विपक्ष के बड़ा चेहरा हैं. लेकिन, अब तो बीजेपी ने पूरी बाजी ही पलट दी. आइए Blogopedia के इस अर्टिकल में जानते हैं कि राहुल गांधी (RAHUL GANDHI) को लेकर राजनीति में क्या असर पड़ने वाला है?
आखिर क्यों गई राहुल की सांसदी?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (RAHUL GANDHI) केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य़ थे. लेकिन, मोदी सरनेम पर की टिप्पणी ने उनसे ये पद छीन लिया. सूरत की एक कोर्ट ने आपराधिक मानहानि के मुकदमे में राहुल गांधी (RAHUL GANDHI) को दो साल कैद की सजा सुनाई है. मोदी सरनेम को लेकर दिए गए बयान को लेकर 2019 में यह केस दायर हुआ था. जिस पर अब कोर्ट ने फैसला सुनाया है. जिसने राहुल का भविष्य अंधकार में डाल दिया है. अब उनकी सांसदी की सदस्यता चली गई है. लोकसभा सचिवालय ने यह नॉटिफिकेशन जारी किया है.
अब राहुल के पास क्या ऑप्शन है?
सूरत कोर्ट ने राहुल को आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराते हुए 2 साल जेल की सजा सुनाई है. लेकिन, इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए सजा को 30 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया है. ऐसा होने से राहुल के पास प्लस पॉइंट यह है कि इतने समय में वे लोकसभा सचिवालय के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं. ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट’ की धारा 8 (4) के तहत दोषी सांसद और विधायक की तत्काल सदस्यता खत्म नहीं होती. उसके पास 3 महीने का समय होता हैं. इस बीच अगर वह हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर देता है तो उस अपील की सुनवाई पूरी होने तक सदस्यता नहीं जाती. यानि अब राहुल गांधी (RAHUL GANDHI) भी अपील करने के लिए स्वतंत्र हैं. अपीलीय अदालत उनकी सजा पर स्टे दे देती हैं तो उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल हो जाएगी. लिलि थॉमस और लोक प्रहरी मामले इसके उदाहरण हैं. 2013 में लिली थॉमस vs यूनियन ऑफ इंडिया मामले में SC ने ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 (4) के तहत मिली छूट को असंवैधानिक बताया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के हिसाब से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खतरे में है. उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता हैं. लेकिन, अपील कोर्ट दोषसिद्धि पर ही रोक लगा दे. तो ऐसी स्थिति में राहुल लोकसभा सांसद बने रह सकते हैं.
वायनाड सीट पर जल्द उपचुनाव होंगे?
राहुल की सांसदी की सदस्यती जाने के ऐलान के बाद वायनाड सीट पर उपचुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. अप्रैल में उपचुनाव कराने की बात की जा रही है. लेकिन, इसकी प्रोसेस चुनाव आयोग करेगा. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के मुताबकि, लोकसभा स्पीकर को राहुल को अयोग्य घोषित करने की शिकायत मिलती है तो लोकसभा सचिवालय एक या दो दिन में चुनाव आयोग को जानकारी दे सकता है कि वायनाड सीट अब खाली हो गई है और चुनाव कराओ. इसके बाद इलेक्शन कमीशन उपचुनाव की तैयारियों में लग जाएगा. अगर, राहुल को राहत नहीं मिलती है तो धारा 151A के तहत इलेक्शन कमीशन को 22 सितंबर 2023 तक निर्वाचन क्षेत्र से नए सांसद का चुनाव करना होगा. और उसके लिए उपचुनाव कराया जरूरी है. हालांकि, उपचुनाव की नैया अधर में लटकी हुई, क्योंकि अभी राहुल ने अपनी कोर्ट में अपील दर्ज नहीं की है.
राहुल को लेकर विपक्ष का क्या रिएक्शन?
लोकसभा से सांसदी की सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी को विपक्ष का जोरदार सपोर्ट मिल रहा है. सपा, एनसीपी, टीमएमसी समेत कई दलों ने राहुल का समर्थन दिया है. साथ ही इस कार्रवाई को बीजेपी का राजनीतिक मंत्र बताया है. क्योंकि अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होना है. ऐसे में बीजेपी के लिए राहुल गांधी उनके लिए रोड़ा बन रहे थे, जिसे अब साफ कर दिया गया है. हालांकि, कांग्रेस के पास अब सत्ताधारी बीजेपी के विरोधी दलों को एकजुट करने का बड़ा मौका है. इस फैसले के विरोध में कई विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. इसके साथ ही पूरे देश में विपक्ष सत्ता पक्ष बीजेपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है. कांग्रेस ने भी सत्याग्रह नामक बड़ा प्रदर्शन किया. इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राहुल की बहन यानि प्रियंका गांधी वाड्रा ने नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर जमकर गरजीं. साथ ही नरेंद्र मोदी को कायर करार दिया.
विपक्ष को साधने का अच्छा मौका
इस दौरान विपक्ष एकजुट भी हुआ.माना ये भी जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान इस मौके को भुनाने की कोशिश में हैं. क्योंकि गैर-बीजेपी आवाजों को एकजुट करने की कोशिश का अभी भी पॉजिटिव रिजल्ट मिलना बाकी है. कारण इसका यह भी है कि विपक्षी दल अपने-अपने स्तर पर सहमति के लिए संघर्ष कर रहे हैं. फिलहाल अब तो ये देखना दिलचस्प होगा कि आखिर राहुल की सांसदी जाने के लोकसभा चुनाव 2024 पर कांग्रेस को कोई फर्क पड़ता है या फिर नहीं. क्योंकि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस के लिए दवा का काम किया था. वहीं, बीजेपी इससे कमजोर पड़ती समझ आ रही थी. हालांकि, अब ये तो आने वाला वक्त में सिद्ध होगा.