क्या आपने कभी एमाइलॉयडोसिस नामक बीमारी का नाम सुना है? जान लीजिए अभी इसके लक्षण अन्यथा फैल सकती है यह बीमारी आपकी पूरे शरीर में ?
आजकल की भागदौड़ और व्यस्त भरी जिंदगी में लोग अपने शरीर में हो रहे परिवर्तनों को नजरंदाज कर देते हैं। जिसके फलस्वरूप यह लापरवाही एक बड़ी बीमारी का कारण बन जाती है। हालांकि कुछ बड़ी बीमारियों के बारे में तो अधिकतर सभी लोगों को पता है लेकिन कुछ असामान्य बीमारियां किसी भी व्यक्ति के जीवन को खतरें में डाल सकती है। दुर्भाग्यवश, इसी तरह की एक बीमारी ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को भी घेर लिया था। इस बीमारी के चलते 5 फरवरी, रविवार के दिन उन्होंने दुबई के एक अस्पताल में अपने प्राण त्याग दिए।
दरअसल, परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति थे। जो एमाइलॉयडोसिस नामक बीमारी से पीड़ित थे। उनके परिवार ने पिछले वर्ष के जून महीने में ही इस बीमारी का खुलासा कर दिया था। जिसके बाद उनका इलाज भी अच्छे स्तर पर चला लेकिन इसके बाबजूद बीमारी का स्तर बढ़ जाने के कारण इलाज के दौरान ही उनका निधन हो गया। ऐसे में तब से एमाइलॉयडोसिस नामक बीमारी काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। अगर आप भी इस बीमारी के विषय में जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। आज हम अपने आर्टिकल के जरिए आपको एमाइलॉयडोसिस नामक इस बीमारी के कारण, लक्षण और उपचार इत्यादि से संबंधित जानकारी देने वाले हैं। अतः इस बीमारी के बारे में जानने के लिए हमारे लेख के साथ अंत तक अवश्य बने रहें।
एमाइलॉयडोसिस बीमारी क्या है?
एमाइलॉयडोसिस एक अत्यन्त भयंकर तथा असामान्य बीमारी है। जो कि असामान्य प्रोटीन अमाइलॉयड के शरीर के अंगों में बनने के कारण बनता है। यह प्रोटीन जब अधिक मात्रा में शरीर में जमा हो जाता है तब यह एक असामान्य बीमारी का रूप ले लेता है। अमाइलॉयड प्रोटीन जिसके कारण यह बीमारी जन्म लेती है वास्तव में यह प्रोटीन शरीर के अंदर नहीं पाया जाता है। लेकिन यह कई अलग-अलग प्रकार के प्रोटीन से बन जाता है। जिसके बाद यह शरीर के अन्य सामान्य कार्यों में बाधा उत्पन्न करता है और शरीर में इस बीमारी के लक्षण शुरू हो जाते हैं। एमाइलॉयडोसिस बीमारी शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है जिसमें हृदय, गुर्दे, लीवर, तंत्रिका तंत्र और पाचन तंत्र के प्रभावित होने की संभावना अधिक रहती है। जैसा कि हमने आपको बताया कि यह बीमारी मुख्य रूप से अमाइलॉयड प्रोटीन के कारण पनपती है। इस प्रोटीन के किडनी में जमा होने से यह किडनी के फिल्टर होने की शक्ति को प्रभावित करता है। जिसके चलते किडनी फिल्टर करने का काम बंद कर देती है और साथ-साथ बाकी अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।
किसको है इस बीमारी का है सबसे बड़ा खतरा?
इस बीमारी को लगने का सबसे बड़ा खतरा 60 से 70 साल की उम्र तक के लोगों को होता है। इसके अलावा महिलाओं की अपेक्षा यह बीमारी पुरुषों को ज्यादा चपेट में लेती है। यह बीमारी गंभीर रूप से पुरुषों में ही बढ़ चढ़कर पनपती है। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति को कोई पुरानी या लंबी बीमारी चल रही है तो उसके शरीर में एमाइलॉयडोसिस बीमारी होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। दूसरी ओर यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है। अर्थात यदि परिवार में कोई भी व्यक्ति इस बीमारी का शिकार रह चुका है तो निश्चित रूप से उसके परिवार का कोई अन्य सदस्य भी इस बीमारी का शिकार हो सकता है।
एमाइलॉयडोसिस बीमारी के लक्षण
यदि हम इस बीमारी के लक्षण की बात करें तो इसके लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि इस बीमारी ने आपके कौन से आर्गन को प्रभावित किया है। ऐसे में सूजन, थकान, कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ होना और हाथ पैरों में दर्द ये सब लक्षण सामान्य रूप से शामिल होते हैं।
इसके अलावा इस बीमारी के लक्षण निम्नलिखित होते हैं:-
- इस बीमारी में मरीज के घुटने और पैरों में सूजन हो जाती है।
- रोगी को अत्यधिक थकान और कमजोरी होने लगती है।
- सांस लेने में काफी तकलीफ होती है।
- सांस लेने में तकलीफ होने के कारण रोगी बिस्तर पर सीधे लेट भी नहीं पाता है।
- इस बीमारी के लक्षणों में त्वचा में परिवर्तन भी आता है। त्वचा मोटी होने लगती है या उस पर आसानी से चोट का असर बढ़ने लगता है।
- आंखों के चारों ओर बैगनी रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं।
- दिल की धड़कन भी अनियमित रूप से चलती है।
- डॉक्टर से जरूर करें परामर्श
उपरोक्त बताए गए लक्षणों को यदि आप अपने शरीर में देख रहे हैं तो बिना देरी के डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें। क्योंकि यह एक ऐसी बीमारी है जिसका पता ही काफी समय के बाद चलता है ऐसे में इस को नियंत्रण करने के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना अत्यंत आवश्यक है। डॉक्टर्स के मुताबिक कई परीक्षणों के साथ ही मरीज का इमेजिंग टेस्ट कराया जाता है। जिसके बाद रोगी का इलाज शुरू किया जाता है। स्थिति अधिक खराब होने पर डॉक्टर्स स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए भी इलाज करते हैं। इसके अलावा कुछ डॉक्टर कीमोथेरेपी का सहारा भी लिया करते हैं। कीमोथेरेपी इसके उपचार का एक अच्छा तरीका माना जाता है क्योंकि इससे कैंसर कोशिकाओं को भी खत्म किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ दवाई दी है जो इस बीमारी में बनने वाले असामान्य प्रोटीन बनाने वाली कोशिकाओं की विकास को रोक सकता है। निष्कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि यदि आपको इस बीमारी का लक्षण दिखाई देता है तो डॉक्टर से परामर्श जल्द से जल्द अवश्य करें।
उम्मीद करते हैं कि आज के आर्टिकल के जरिए हमने आपको जो जानकारी दी है वह आपके लिए लाभकारी रही होगी। इसी प्रकार की जानकारियों के लिए हमारे पेज पर विजिट अवश्य करते रहें।
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