शारदीय नवरात्रि चल रहे हैं, जो कि 26 सितंबर से शुरू हो गए है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व हैं। नौ दिनों तक मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा के साथ-साथ उन्हें तरह-तरह के पकवानों का भोग भी लगाया जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ उपवास के साथ सोलह श्रृंगार का भी बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। तो क्या आप जानते है सोलह श्रृंगार के पीछे की खास वजह के बारे में? यदि नहीं तो यह लेख आप जरूर पढ़े क्योंकि आज हम आपको इस लेख में बताएंगे सोलह श्रृंगार क्या होते है? नवरात्रि में इसका क्या महत्व है?
मां दुर्गा के सोलह श्रृंगार का संबंध घर की सुख-समृद्धि से जुड़ा हुआ है। ऋग्वेद के अनुसार सोलह श्रृंगार महिलाओं की सिर्फ खूबसूरती ही नहीं बल्कि भाग्य को भी निखारता है। यही वजह है कि महिलाएं नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए इस पावन पर्व पर उनका श्रृंगार करती हैं। इसके बाद मां को चढ़ाए गए श्रृंगार को स्वयं धारण भी करती हैं।
क्या होता है सोलह श्रृंगार?
सोलह श्रृंगार में महिलाएं सिर से लेकर पैर तक कुछ न कुछ सुहाग की निशानी को पहनती हैं। इसमें बिंदी, चूड़ी, सिंदूर और पायल आदि चीजें शामिल होती हैं। ये सभी सुहाग की ही निशानी होती है। यह देवी लक्ष्मी के साथ जुड़ी हुई स्त्रीत्व और उर्वरता का प्रतीक है। माता लक्ष्मी हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं, जो कि धन, संपदा, शांति और समृधि की देवी मानी जाती हैं।
16 श्रृंगारों में क्या-क्या आता है?
(मां दुर्गा का सोलह श्रृंगार)
1. लाल चुनरी
2. चूड़ी
3. बिछिया
4. इत्र
5. सिंदूर
6. बिंद्दी
7. मेहंदी
8. काजल
9. मंगल सूत्र
10. पायल
11. बाजूबंद
12. कमरबंद
13. मांग टीका
14. कान की बाली
15. नाक में नथ
16. गजरा
1. लाल चुनरी
मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा को लाल रंग का जोड़ा बहुत प्रिय है। यही वजह है कि माता को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने को कहा गया है।
2. चूड़ी
ऐसी मान्यता है कि सुहागिनों की कलाइयां सूनी नहीं रहनी चाहिए। वो हमेशा चूड़ियों से भरी होनी चाहिए। बता दें, चूड़ियों के अलग-अलग रंगों के अलग-अलग महत्व होते हैं। अगर लाल रंग की चूड़ियों का संकेत होता हैं वह पूरी तरह खुश और संतुष्ट हैं, जबकि हरे रंग की चूड़ियों का संकेत होता है परिवार में समृधि आएगी।
3. बिछिया
बिछिए का भी सुहागिन महिलाओं की जिंदगी में काफी महत्व होता है। बता दें, पैरों के बीच की 3 अंगुलियों में पहने जाने वाला चांदी का बिछुआ इस बात का प्रतीक होता है कि दुल्हन शादी के बाद सभी परेशानियों का हिम्मत के साथ मुकाबला करेगी। इसलिए महिलाएं नवरात्रि में मां दुर्गा को बिछिया भी चढ़ाती है।
4. इत्र
इत्र से नकात्मक ऊर्जा पास नहीं आती है। और महिलाओं के आस-पास के सुगंधित खूशबू बरकरार रहती है। साथ ही वह सकात्मक भी रहती है।
5. सिंदूर
हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए सिंदूर बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है। इसलिए ही नवरात्रि मां दुर्गा को सिंदूर लगाया जाता है।
6. बिंद्दी
दोनों भौहों के बीच कुमकुम या सिंदूर से लगाई जाने वाली बिंदी स्वयंभू शिव जी के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है।
7. मेहंदी
सुहागिन किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले मेहंदी लगाती है। सुहागिन महिलाओं के लिए बिना मेहंदी के श्रृंगार अधूरा माना जाता है। इसलिए मां दुर्गा के श्रृंगा में मेहंदी को शामिल किया गया है।
8. काजल
काजल को लगाने से आंखों की सुंदरता बढ़ती है। साथ ही माना जाता है कि काजल लगाने से बुरी नजर से भी बचा जाता है।
9. मंगल सूत्र
शादी के बाद महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र गहना मंगलसूत्र माना गया है। इस गहने में काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं।
10. पायल
पैरों में सिर्फ चांदी की पायल ही पहनी जाती है। क्योंकि हिंदू धर्म में सोना को पवित्र धातु का स्थान प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि पैरों में सोना पहनने से धन की देवी-लक्ष्मी का अपमान होता है। इसलिए मां दुर्गा को भी पैरों में चांदी की पायल चढ़ाई जाती है।
11. बाजूबंद
मां दुर्गा को बाजूबंद भी 16 श्रृंगार के रूप में चढ़ाया जाता है।
12. कमरबंद
मां दुर्गा के 16 श्रृंगार में कमरबंद भी शामिल किया गया है। बता दें, अनादि काल से विवाह के बाद स्त्रियां कमरबंद को अनिवार्य रूप से धारण करती थी। यह कमरबंद स्वर्ण और चांदी के बने हुए होते हैं।
13. मांग टीका
सोलह श्रृंगार में शामिल किया गया एक श्रृंगार मांग टीका है, जिसे मां दुर्गा के माथे पर मांग के बीच में लगाया जाता है। यह मांग टीका स्वर्ण या चांदी की धातु का बना हुआ होता है।
14. कान की बाली
सोलह श्रृंगार कान की बाली के बिना पूरा नहीं होता है। मां दुर्गा को कानों की बालियां या झुमके चढ़ाएं जाते है। कानों में धारण किए जाने वाले झुमके, कुंडल को ही कर्णफूल कहा जाता है, जो सोने या चांदी की धातु के बने हुए होते हैं।
15. नाक में नथ
मां दुर्गा के श्रृंगार के नाक की नथ भी चढ़ाई जाती है।
16. गजरा
गजरे को भी सोलह श्रृंगार में शामिल किया गया है जो चमेली के सुगंधित फूलों से बनाया जाता है। गजरे के फूलों की सुगंध मन को तरोताजा और ठंडा रखती हैं। और साथ ही घर में भी फूलों की सुंगध रहती है, जिससे घर सुगंधित और पवित्र बना रहता हैं।
यह 16 श्रृंगार मां दुर्गा को अर्पित किए जाते है। और सुहागिन महिलाएं मां के श्रृंगार से ही अपना श्रृंगार करती है।