बारिश के मौसम में मलेरिया होना अब आम बात हैं। क्या आप जानते है कि एक छोटे से मच्छर के काटने से मलेरिया का शिकार आप हो सकते हैं। मलेरिया इतना खतरनाक होता हैं, कि वक्त रहते इसका इलाज नहीं हुआ तो इससे मौत भी हो सकती है। बता दें, मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से ही मलेरिया बीमारी होती है। इस बीमारी का कारण प्लाज्मोडियम परजीवी होता है, जो मच्छर के द्वारा हमारे शरीर में पहुंचता है। मलेरिया इटालियन शब्द ‘माला आरिया’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है खराब हवा, क्योंकि एक वक्त तक यह माना जाता था कि मलेरिया खराब हवा के कारण होता है, मगर अब ऐसा नहीं है।
संक्रमित मच्छर एक बार मानव को काटते है, जिससे परजीवी हमारे खून में पहुंच जाते है और फिर पूरे शरीर पर अतिक्रमण कर लेते है। आज हम आपको इस लेख में बताएंगे कि मलेरिया का क्या कारण है? इससे कैसे आप बच सकते है और इसका क्या इलाज है। चलिए शुरुआत करते हैं।
मलेरिया का क्या कारण है?
मलेरिया तब होता है, जब मच्छर प्जाज्मोडियम परजीवी से संक्रमित होकर किसी व्यक्ति को काटता है। तब यह परजीवी व्यक्ति को संक्रमित करते हैं। मलेरिया से होने बाली मौतों के लिए फेल्सीपेरम सबसे बड़ा कारण होता है। बता दें, मलेरिया का संक्रमण रक्त में होता है, इसलिए यह खून के जरिए से भी फैल सकता है।
मलेरिया परजीवी के प्रकार
1. प्लाज्मोडियम वाईवेक्स पी
2. ओवैल पी
3. मलेरिया
4. फेल्सीपेरम पी
मलेरिया के लक्षण?
यदि किसी व्यक्ति को मलेरिया हैं, तो इसके लक्षण 10 दिन से 4 हफ्ते के बीच में दिखाई देते है। कुछ मामलों में लक्षण कई महिनों तक नहीं दिखते, क्योंकि कुछ मलेरिया परजीव शरीर में प्रवेश करने के वाद कई महिनों तक निष्क्रिय रह सकते है। चलिए अब कुछ आम लक्ष्णों के बारे में जान लेते है:-
1. कपकपाहट के साथ ठंड लगना
2. तेज बुखार
3. अधिक मात्रा में पसीना निकलना
4. सर दर्द करना
5. जी मिचलाना
6. उल्टी होना
7. पेट में दर्द होना
8. दस्त लगना
9. खून की कमी होना
10. मांसपेशियों में दर्द होना
11. शरीर में ऐंठन होना
12. बार बार बेहोश होना
13. मल के साथ खून आना
मलेरिया के प्रकार
मलेरिया के भी प्रकार होते हैं। संक्रमण की गंभीरता के आधार पर, दो प्रकार के मलेरिया होते हैं।
1. अनकॉमप्लिकेटेड मलेरिया
2. सीवियर मलेरिया
1. अनकॉमक्लिकेटेड मलेरिया
इस टाइप में बुखार 3 तरीके से हो सकता है। ठंड लग के या कंपकंपी के साथ बुखार या फिर गर्मी लग के बुखार या पसीने और थकान के साथ बुखार की समस्या।
इस प्रकार के मलेरिया बुखार के लक्षण
1. बुखार
2. ठंड लगना
3. पसीना
4. सिरदर्द
5. मतली और उल्टी
6. थकान
7. शरीर में दर्द
1. सीवियर मलेरिया
यह मलेरिया का सबसे गंभीर रूप होता है। यह तब होता है, जब मलेरिया शरीर के विभिन्न अंगों में फैलकर उन्हें प्रभावित करने लगता है। इसमें कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। इतना ही नहीं हो सकता हैं इससे भी अधिक गंभीर लक्षण दिखाई दें।
इस प्रकार के मलेरिया के लक्षण
• सेरेब्रल या दिमागी मलेरिया– दौरे आना, कोमा व अन्य न्यूरोलॉजिकल असामान्यताएं
• गंभीर एनीमिया
• रक्त जमावट की प्रक्रिया में असामान्यताएं
• किडनी की समस्या
• श्वसन संबंधी समस्याएं
• निम्न रक्तचाप
मलेरिया के मच्छरों से कैसे बचें?
मलेरिया के मच्छरों से बचने के लिए कई उपाय है। सबसे महत्वपूर्ण उपाय यह हैं कि मलेरिया को रोकने और उससे बचने के लिए मच्छरों को पनपने ना दे।
1. मलेरिया के मच्छर ज्यादातक शाम या फिर रात के समय काटते है, इसलिए इस समय संभव हो तो घर में ही रहे।
2. मलेरिया से बचने के लिए ऐसे कपड़ों को पहनने, जिससे शरीर का अधिकांश हिस्सा ढका रहे।
3. घर के आस पास बारिश के पानी या फिर गंदे पानी को जमा ना होने दे। क्योंकि इसमें मलेरिया के जीवाणु पैदा होने का खतरा रहता है।
4. यदि किसी व्यक्ति के शरीर में बुखार तेजी से बढ़ रहा है, तो उसे किसी डॉक्टर की सलाह और जांच करवानी चाहिए।
5. मलेरिया रोग की संभावना को कम करने के लिए एंटिमलेरियल दवा लेनी चाहिए।
मलेरिया की जांच
किसी भी व्यक्ति में इन लक्ष्णों में से कोई भी लक्ष्ण दिखे तो उसको फौरन ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर आपको मलेरिया का जांच कराने के बाद ही आपका ट्रीटमेंट करेगा।
मलेरिया का उपचार
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी हो सकती है। यदि आपको फेल्सीपेरम प्रकार का मलेरिया है, तो इसका ट्रीटमेंट अस्पताल में ही किया जाता है।
मलेरिया का घरेलू इलाज
आजकल डॉक्टर भी मलेरिया के लिए दवाई के साथ-साथ प्राकृतिक और घरेलू उपचार की सलाह देते हैं। यहां हम आपको मलेरिया से बचाव के लिए कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं।
1. अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पानी में थोड़ी देर के लिए उबालकर इसे छान लें और थोड़ा ठंडा कर पिएं। इसका रोजाना एक से दो बार सेवन कर सकते हैं। इससे अदरक में मौजूद जिन्जेरॉल में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। जिससे मलेरिया के दौरान होने वाले दर्द और मतली से राहत मिल सकता है। साथ ही पाचन शक्ति को भी बढ़ा सकते हैं।
2. तुलसी के 12 से 15 तुलसी के पत्तों को कूटकर इनका रस निकाल लें। इस रस में काली मिर्च पाउडर डालकर अच्छी तरीके से मिलाएं। और इस रस को दिन में 3 बार पिएं, खासकर बीमारी के शुरुआती चरणों में। तुलसी से संबंधित एक शोध के मुताबिक इसमें एंटी-मलेरिया गुण होता है। यही वजह है कि संक्रमण के दौरान नियमित रूप से सेवन करने पर मतली, उल्टी, दस्त और बुखार जैसे लक्षणों से भी राहत मिल सकती है।
3. दालचीनी पाउडर और काली मिर्च पाउडर को कुछ मिनट के लिए पानी में उबालें। फिर पानी को छानकर उसमें शहद मिलाकर इसका दिन में 2 बार सेवन करें। बता दें, दालचीनी में मौजूद सिनामाल्डिहाइड के कारण इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं। इसके साथ ही दालचीनी में एंटीप्लास्मोडियल गुण भी पाए जाते हैं। इसके सेवन से मलेरिया में राहत मिल सकती है।
4. एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस निचोड़कर इसका बुखार के वक्त एक से दो बार सेवन करें। बता दें, नींबू पानी शरीर के विषैले पदार्थों को निकाल सकता है। ठीक उसी तरह अगर मलेरिया में दवाइयों के साथ नींबू का जूस लिया जाए, तो यह शरीर से मलेरिया के परजीवी को निकालने में ज्यादा तेजी से असर कर सकता है।
5. पपीते की पत्तियों को अच्छी तरह से धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। 15 से 20 मिनट के लिए पत्तियों को उबालें। इसमें नींबू के दो से तीन टुकड़े भी मिला सकते हैं और छान लें। इसमें स्वादानुसार शहद भी मिलाकर दिनभर में 2 से 3 बार इसका सेवन कर सकते हैं। बता दें, पपीता का पत्ता एंटी-मलेरिया की तरह काम कर सकता है।