Malana Himachal Pradesh: 26 जनवरी 1950 को हमारे देश भारत में संविधान लागू हुआ था। इस संविधान की बुनियाद पर ही देशभर में कानून व्यवस्था काम करती है। देश में रहने वाले हर व्यक्ति को भारतीय संविधान में दिए गए कानून का पालन करना होता है। भारत बहुत्व का देश है। भारत में बहुत सारे राज्य, विभिन्न भाषा, धर्म और जाति के व्यक्ति रहते हैं। इन सभी लोगों के लिए के लिए एक ही कानून बना है पर क्या जानते हैं कि हमारे देश में एक गांव ऐसा है, जहां भारत का कोई भी कानून नहीं चलता।
यहां के लोगों का अपना खुद का संविधान है। इस गांव के लोग स्वयं ही न्यायपालिका होते हैं, खुद ही कार्यपालिका और विधानपालिका होते हैं। खुद का चयन कर सदन के उम्मीदवारों को चुनते करते हैं। इस गांव में लोग अपने खुद के बनाए गए कानून को ही मानते हैं। यहां का इतिहास और तौर तरीका बेहद रोमांचक है। तो चलिए जानते हैं आखिर कहां है यह गांव, जहां नहीं लागू होता भारत का संविधान। और क्या है इस गांव में ऐसी खास बात?
इस गांव में नहीं चलता देश का संविधान
मलाणा गांव (Malana Village) देश में एक गांव ऐसा है, जहां भारत का कोई भी कानून नहीं चलता। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में तकरीबन 12000 फुट की ऊंचाई पर यह गांव स्थित है। इस गांव के चारों ओर पहाड़ और गहरी खाई हैं। हिमाचल प्रदेश का यह खूबसूरत गांव बहुत सारी बातों की वजह से ज्यादातर सुर्खियों में बना रहता है।
आपको बता दें कि इस गांव का कोई भी व्यक्ति भारत के कानून को नहीं मानता। मलाणा के लोगों ने अपने खुद के कुछ कानून बनाए हैं। इस गांव में खुद की एक पार्लियामेंट है। इसी माध्यम से यहां के सारे निर्णय किए जाते हैं।
ऐसा लोगों का कहना है कि यहां के निवासी स्वयं को सिकंदर का वंशज बताते हैं। यह भी कहा जाता है कि मलाणा गांव (Malana Village) के मंदिर में सिकंदर के दौर की एक तलवार अभी भी रखी है। इस गांव के बहुत सारे उल्लेखनीय वृतांत और बहुत से अनसुलझे किस्से भी हैं। लगभग 1700 लोगों की जनसंख्या वाला मलाणा गांव पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है।
कुछ इस तरह का है मलाणा (Malana) का कानून
सबसे खास बात तो ये है कि भारत का हिस्सा होने के बावजूद भी इस गांव का अपना एक अलग संविधान है। इस गांव में खुद की एक पार्लियामेंट है, जिसमें 2 सदन हैं। एक तो ऊपरी सदन जिसमें 11 सदस्य हैं और दूसरी निचली सदन है।
ऊपरी सदन जिसमें 11 सदस्यों में 3 गुरु, कारदार और पुजारी होते हैं, वहीं बचे हुए 8 सदस्यों को गांव निवासी मतदान के जरिए चुनते हैं। सदन के हर घर से एक मेंबर प्रतिनिधि होता है। यहां एक चौपाल है, जो संसद भवन की तरह है। इस चौपाल के जरिए ही सारी सस्याओं का समाधान किया जाता है और यहीं सारे निर्णय लिए जाते हैं।
Read More: Jal Mahal: पानी में तैरता 300 साल पुराना महल, बेहद रोमांचक है इसकी कहानी!
किसी से हाथ भी नहीं मिलाते
इस गांव के लोग बाहर के लोगों से अधिक संबंध नहीं रखना चाहते। इसका कारण यह है कि वे अपनी नस्ल में कोई मिलावट नहीं चाहते हैं। यहां के कायदे कानून बेहद सख्त हैं। बता दें कि शादी समारोह भी गांव के अंदर ही किए जाते हैं। विचित्र बात तो यह है कि इस गांव के लोग दूसरों से हाथ तक नहीं मिलाते। यदि आप यहां की दुकानों से कुछ लेंगे, तो विक्रेता सीधे हाथों से पैसे लेने के बजाय उन्हें वहीं रख देने को कहेंगे।
नहीं छू सकते इस गांव की दीवार
इस गांव के कायदे कानून बेहद सख्त हैं। आपको यह सुनकर हैरानी होगी कि इस गांव की दीवारों को चुना तक वर्जित है। बाहर से आया हुआ कोई भी व्यक्ति इस गांव की दीवार को नहीं छू सकता। यहां की दीवारों को छूने पर हरजाना देना पड़ता है। सैलानियों को भी इस गांव की दीवारों को चुना वर्जित है।
पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है मलाणा (Malana)
मलाणा गांव के विषय में बहुत सी बातें ऐसी हैं, जो इस गांव को दूसरे गांवाें से अनोखा बनाती है। बता दें कि मलाणा के लोगों की भाषा बिलकुल भिन्न है। इस गांव में लोग कनाशी भाषा का प्रयोग करते हैं। विचित्र बात तो यह है कि बाहर के लोगों के लिए यह भाषा सीखना वर्जित है। इसके अलावा और भी बहुत सारी कई विशेषताओं की वजह से मलाणा लोगों के बीच बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। आपको बता दें कि इस गांव में पर्यटकों का रुकना वर्जित है। हालंकि पर्यटक गांव के बाहर टेंट लगाकर रुक सकते हैं।
चरस की खेती के लिए प्रसिद्ध है यह गांव
दुनिया भर में चरस की खेती के लिए मलाणा गांव (Malana Village) बेहद मशहूर है। मलाणा के आसपास गांजा की खेती बहुत अच्छी होती है। इस गांव के लोगों को चरस के सिवाय कोई और उपज में बिलकुल रुचि नहीं है। मलाणा के लोगों के लिए चरस की खेती काला सोना है। असल में चरस की खेती उनके लिए आजीविका का प्रमुख जरिया है।
कैसे पहुंचे मलाणा (Malana)
यदि आप हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के इस अनोखे गांव में घूमना चाहते हैं तो आपको कुल्लू जिले से सिर्फ 45 किमी की दूरी तय करनी पड़ेगी। आप मणिकर्ण रास्ते से कसोल होते हुए मलाणा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट के रुट से यहां पहुंच सकते हैं। आपको बता दें कि हिमाचल रोडवेज की सिर्फ एक बस यहां जाती है। कुल्लू से यह बस दोपहर 3 बजे निकलती है।
Read More: Jal Mahal: पानी में तैरता 300 साल पुराना महल, बेहद रोमांचक है इसकी कहानी!
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में आपने भारत के उस अनोखे गांव के बारे में जाना जहां देश का संविधान नहीं चलता, बल्कि यहां के लोग अपना बनाया हुआ कानून ही फॉलो करते हैं। उम्मीद करते हैं कि ऊपर दी गई जानकारी आपको जरुर पसंद आई होगी। यदि आपको इस आर्टिकल से जुड़ी किसी तरह की कोई समस्या हो तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य साझा करें।