साल 2005 में आया वीडियो प्लेटफॉर्म यूट्यूब आज के समय में काफी फेमस हो गया है. हर स्मार्ट फोन यूजर्र इस प्लेटफार्म को ना चाह कर भी यूज करने को मजबूर है. क्योंकि इस प्लेटफार्म पर दुनिया की वो तमाम चीजे देखने को मिल जाती हैं. जो आपको किसी और प्लेटफार्म पर देखने को नहीं मिल सकती. यह प्लेटफॉर्म बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर किसी के लिए हेल्पफुल है.
इस प्लेट फॉर्म पर बच्चे अपने पसंदीदा कार्टून और एजुकेशन से संबंधी वीडियों देख सकते हैं. महिलाए रैसिपी तो वहीं बुजुर्गों को अब न्यूज देखने के लिए टीवी के सामने नहीं बैठना पड़ता. अब वह जब चाहे जहां चाहे देश-दुनिया की अपडेट्स ले सकते हैं. इतना ही नहीं वे अपने विचार भी इस प्लेटफार्म के जरिए लोगों के साथ साझा कर सकते हैं. वर्तमान में देश में हजारों लोग यूट्यूब का यूज कर रहे हैं. लेकिन, इसी बीच यूट्यूब को लेकर केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. दरअसल, केंद्र सरकार ने हाल ही 6 यूट्यूब चैनलों पर बैन लगा दिया है. लेकिन क्या आपको पता है कि सरकार के इस कदम को उठाने के पीछे कारण क्या है? नहीं तो आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आखिर यह 6 यूट्यूब चैनल बैन क्यों हुए.
आखिर कब होते हैं यूट्यूब चैनल बैन
यूट्यूब, जो साल 2006 से गूगल का वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म है. गूगल के इस प्लेटफॉर्म यूट्यूब का मतलब है ‘आपका टेलीविजन’. जिस पर कोई भी वीडियो देख सकता है और अपनी वीडियो भी साझा कर सकता है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस पॉपूलर वीडियो प्लेटफॉर्म की कुछ गाइडलाइन्स भी हैं. जिनका उल्लंघन करना यूट्यूबर को भारी पड़ सकता है. दरअसल, यूट्यूब की टीम इस प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए गए हर वीडियो की निगरानी करती है. ताकि कोई इसके नियमों तोड़ न सके. हालांकि, जब भी टीम को ऐसा कुछ देखने को मिलता है या कोई कॉपीराइट Issue मिलता है तो कंपनी इन चैंनलों पर कार्रवाई करती है. साथ ही उस वीडियो को हटा देती है और चैनल पर प्रतिबंध लगा देती है. हालांकि, इसके यूजर्स की रिपोर्ट और सरकारी आदेशों दोनों अहम होते हैं.
आखिर यूट्यूब चैनलों पर क्यों गिरी गाज?
12 जनवरी 2023 को 6 यूट्यूब चैनल्स पर गाज गिरी है. जिसका कारण है फेक न्यूज. इसका खुलासा पीआईबी की फैक्ट यूनिट ने किया है. PIB के मुताबिक, इन चैनल्स पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और चुनाव आयोग से जुड़ी झूठी खबरें परोसी जा रही थीं. जिसकी जानकारी मिलने के बाद केंद्र सरकार ने कार्रवाई की. बैन हुए चैनल्स में संवाद टीवी, नेशन टीवी, संवाद समाचार, सरोकार भारत, नेशन 24 और स्वर्णिम भारत चैनल शामिल हैं. जिनके लगभग 20 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर थे. लेकिन अब केंद्र सरकार की कार्रवाई के बाद सब धरे के धरे रह गए. PIB ने बताया कि, बैन हुए सभी चैनल गलत सूचना फैला रहे थे और उनके वीडियो को 51 करोड़ से ज्यादा बार देखा गया है.
साल 2022 में 104 यूट्यूब चैनल हुए थे बैन
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब केंद्र सरकार ने यूट्यूब चैनल्क के खिलाफ कार्रवाई की हो, इससे पहले भी सरकार कड़ा एक्शन ले चुकी है. दिसंबर 2022 में सरकार ने 104 यूट्यूब चैनल्स बैन करने की पेशकश की थी. इन सभी चैनल्स पर देश के खिलाफ मुहिम चलाने वाले समाज में भ्रम और भय फैलाने का आरोप था. इस दौरान यूट्यूब के साथ ट्विटर और अन्य वेबसाइट के खिलाफ भी आईटी कानून के तहत कार्रवाई की गई थी. यह जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में दी थी. उन्होंने कहा कि इस तरह की खबरे फैलाने वाले यूट्यूब चैनल्स और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को लेकर अब सरकार अलर्ट हो गई. ताकि सरकार के खिलाफ कोई गलत खबरें ना फैला सके.
बिना जानकारी के नहीं होती कार्रवाई
किसी भी यूट्यूब चैनल के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उसके मालिक को आगाह किया जाता है. यूट्यूब की टीम चैनल मालिक को मेल भेजकर बैन की जानकारी देता है. साथ ही बैन करने का कारण भी बताता है. ताकि यूट्यूब ऑनर कंपनी पर कोई सवाल ना उठा सके. इसके अलावा कोई दूसरा अकाउंट का यूज और CREATE करने की परमिशन नहीं देने की भी सूचना देता है. वैसे तो यूट्यूबर को अपने चैनल को बैन होने से बचाने के लिए 3 चांस मिलते हैं, लेकिन इसके बाद भी वही गलती चैनल द्वारा बार-बार दोहराई जाती है तो फिर कंपनी एक्शन लेने को मजबूर होती है.
कैसे कर सकते हैं रिकवरी?
अगर कोई चैनल बैन हो गया है और उस चैनल को फिर से चालू करना चाहते हैं तो इसके लिए यूजर्स अपील कर सकते हैं. क्योंकि यूट्यूब एक बार अपील करने का मौका देता है. लेकिन, अगर यूजर बार-बार अपील करता है तो यह उसके लिए भारी पड़ सकता है. क्योंकि बार-बार अपील करने से प्रोसेस में देरी होती है. बता दें कि अपील करने के लिए एक फॉर्म फिल करना होता है. जिसमें चैनल से रिलेटेड जानकारी और आईडी को जोड़ा जाता है. जानकारी के मुताबिक, यूजर जितनी ज्यादा जानकारी यूट्यूब को देता है उतना ही कंपनी को आगे की प्रोसेस करने में आसानी होती है. इसके साथ ही कंपनी को लगता है कि यूजर द्वारा दी गई जानकारी पूरी करेक्ट है तो फिर आसानी चैनल वापस मिल जाता है. लेकिन यूजर ने फॉर्म में बढ़ा-चढ़ाकर जानकारी दी तो फिर वो चैनल को अपने हाथ से गवां सकता है. क्योंकि कंपनी फिर उस चैनल के खिलाफ कड़ा एक्शन ले सकती है. और हमेशा के लिए चैनल पर ताला जड़ सकती है.
2 comments
बहुत सही जानकारी
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