Women health: स्वास्थ्य समस्याएं आमतौर पर उम्र के हर एक पड़ाव पर परेशान करती हैं। महिलाओं में समय-समय पर हार्मोन में बदलाव के कारण किशोरावस्था में पीरियड्स शुरू होने से लेकर मेनोपॉज तक कई तरह की समस्याएं होती हैं। यही कारण है कि महिलाओं को अपने सेहत की विशेष देखभाल करने की जरूरत पड़ती है। बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में होने वाली कुछ विशेष स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी हर महिला को होनी चाहिए। दरअसल, कई बार समस्या की अनदेखी करने पर यह गंभीर रूप धारण कर लेती है जिससे बीमारी काफी हद तक बढ़ सकती है। अगर आपकी उम्र 40 साल से अधिक है तो आपमें कुछ समस्याओं के संकेत दिखने शुरू हो जाएंगे लेकिन शायद आप उन्हें समझ न पाएं। चूंकि महिलाएं अपने सेहत का ख्याल नहीं रखती हैं इसलिए देर करने पर बीमारी दूसरे रुप में परिवर्तित हो जाती है। इस आर्टिकल में हम बताने जा रहे हैं कि 40 के बाद महिलाओं को किस तरह से अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए। इसके मद्देनजर कुछ जरूरी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।
थायराइड टेस्ट (Thyroid Test)
वजन बढ़ना, बालों का झड़ना,नाखून टूटना और थकावट आदि 40 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं की कुछ सामान्य शिकायतें हैं। इसका एक सामान्य कारण अंडर एक्टिव थायराइड या हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) है। यह ग्रंथि हार्मोन टी3, टी4 और टीएसएच स्रावित करती है, जो शरीर के चयापचय को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। कोई भी परिवर्तन शरीर में गंभीर परिवर्तन उत्पन्न कर सकता है। गर्भावस्था, प्रसव, स्तनपान और रजोनिवृत्ति (menopause) के दौरान हमारे द्वारा अनुभव किए जाने वाले प्रमुख हार्मोनल परिवर्तनों के कारण महिलाओं में इसकी संभावना अधिक होती है। महिलाओं को 40 की उम्र के बाद 3 साल में एक बार यह टेस्ट करवाना चाहिए।
मधुमेह, मोटापा और उच्च रक्तचाप की जांच (Diabetes, Obesity, and hypertension screening):
मधुमेह, पूर्व मधुमेह और संबद्ध स्थितियों के निदान के लिए रक्त शर्करा परीक्षण (blood sugar test), एचबी ए1सी और लिपिड प्रोफाइल किया जाना चाहिए।
मैमोग्राम (Mammogram):
ब्रेस्ट कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है, इसलिए हर उम्रदराज़ महिला को मैमोग्राम/अल्ट्रासोनोग्राफी करानी चाहिए। संदेह होने पर गांठ (lump) आदि का शीघ्र पता लगाने के लिएडॉक्टर की सलाह से टेस्ट कराना चाहिए। स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर (ovarian cancer ) की संवेदनशीलता के लिए बीआरसीए उत्परिवर्तन परीक्षण (BRCA mutation testing ) की सलाह दी जाती है, खासकर यदि कैंसर का कोई पारिवारिक इतिहास हो।
पैप स्मीयर( Pap Smear):
40 वर्ष की आयु तक पहुंचने के बाद, हमेशा संपूर्ण पेल्विक परीक्षण(pelvic examination), पैप स्मीयर और एचपीवी के लिए परीक्षण कराने की सलाह दी जाती है। भारत में अधिकांश महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। हाल ही में सर्वाइकल कैंसर का टीका(vaccine ) भी शुरु किया गया है।
डिम्बग्रंथि कैंसर (Ovarian Cancer):
मेनोपॉज के बाद डिम्बग्रंथि का कैंसर ज्यादातर महिलाओं में आम है। ये कैंसर डीएनए कोशिकाओं में परिवर्तन के कारण उत्पन्न होते हैं जो कैंसर के विकास का कारण बनते हैं। डिम्बग्रंथि के कैंसर के खतरे को रोकने के लिए, रजोनिवृत्ति की उम्र तक पहुंचने से पहले जांच कराना सबसे अच्छा है। नियमित अल्ट्रासाउंड, सीए1.25, सीईए आदि जैसे ट्यूमर मार्कर आसानी से बीमारी की शुरुआत का पता लगा सकते हैं।
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1 comment
Nice blog