गूगल, जिसे सब ‘गूगल चाचा’ कहकर पुकारते हैं, क्योंकि सबकी समस्या का हल यह आसानी से कर देता है. यह सर्वज्ञानी है. इसे कोई भी काम कठिन नहीं लगता. घंटों के काम यूं ही कर देता है. यह किसी एक देश में ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लोगों के सवालों का जवाब आसानी से देता है. लेकिन गूगल के फास्ट रिप्लाई का राज क्या है? कैसे यह घंटों के सवालों का जवाब सैंकडों में दे देता है? अगर आपकों नहीं पता तो हम बताते हैं. दरअसल, गूगल के पास हैं डाटा सेंटर्स, जो इसका काम आसान कर देते हैं. लेकिन ये डाटा सेंटर्स तब काम करते हैं जब इनके पास पर्याप्त पानी होता है. क्योंकि यह करोड़ो लीटर पानी पीते हैं. एक कहावत है, ‘जल ही जीवन है’. ऐसा ही हाल इन डाटा सेंसर्स का है. क्योंकि गूगल पर रोजाना करोड़ों से भी ज्यादा सर्च किए जाते हैं. और यह पूरा डाटा उसके सेंटर्स में जुड़ जाता है. लेकिन आपने कभी सोचा है उन सेंटर्स पर कितना पानी खर्च होता है. नहीं तो आज इस अर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि गूगल के डेटा सेंटर्स कितना पानी पीते हैं?
साल 2021 में 1500 करोड़ लीटर पानी किया यूज
साल 2021 की बात करें तो गूगल डेटा सेंटर्स ने 1500 करोड़ लीटर पानी का यूज किया है. जिसमें से 80 प्रतिशत इस्तेमाल सिर्फ अमेरिका के सेंटर्स में हो रहा है. इसका खुलासा खुल गूगल ने किया है. दरअसल, जब यूएसए के मीडिया संस्थान द ओरेगॉनियन ने गूगल से पूछा कि ओरेगॉन में लोकेटेड एक डाटा सेंटर कितना पानी यूज करता है. हालांकि, इस सवाल के बाद गूगल की सुट्टी-पुट्ठी गोल हो गई थी. और मामला भी कोर्ट चला गया था. लगभग एक साल तक कोर्ट में इसे लेकर HEARING हुई. लेकिन बाद में गूगल ने राज खोल ही दिया. गूगल ने बताया कि ओरेगॉन में स्थित डेटा सेंटर ने साल 2021 में 125 करोड़ लीटर पानी की खपत की. हालांकि, अब गूगल निश्चित समय पर इसकी रिपोर्ट देता रहेगा.
क्या धरती पर पानी खत्म हो जाएगा?
गूगल डेटा सेंटर्स के पानी की खपत को देखकर मन में सवाल उठता है कि कहीं धरती से पानी तो खत्म नहीं हो जाएगा. दरअसल वर्तमान में गूगल का यूज बढ़ गया है. जिसकी वजह से पानी का खर्च भी बढ़ता जा रहा है. गूगल ने जानकारी दी है कि पिछले 5 साल में पानी का यूज 3 गुना ज्यादा बढ़ गया है. पोर्टलैंड का सबसे बड़ा शहर ओरेगॉन में मौजूद सेंटर पूरे शहर में सप्लाई होने वाले पानी में से एक चौथाई हिस्सा यूज करता है. गूगल ने यह भी बताया कि अमेरिक के 29 गोल्फ कोर्स में जितना पानी यूज होता है, उतना ही पानी डेटा सेंटर खर्च करते हैं. बता दें कि ऐसा पहली बार है जब गूगल यह खुलासा किया. आज तक किसी को नॉलेज नहीं था कि उसके डेटा सेंटर्स इतनी मात्रा में पानी का यूज करते होंगे. हालांकि अब गूगल पानी का खुलासा करने वाला पहला टेक जायंट बन गया.
आखिर डेटा सेंसर पानी का यूज क्यों करते हैं?
पूरी दुनिया में इंटरनेट सिस्टम को चलाने में सर्वर का स्पेशल रोल होता है. और सर्वरों को DETER में ऐड किया जाता है. गूगल ही नहीं दुनिया की सभी टेक कंपनियों के डेटा सेंटर्स में हजारों सर्वर होते हैं. जिन्हें ऑपरेट करने में बहुत ज्यादा ही इलेक्ट्रसिटी की खपत होती है. जिसकी वजह से ये बहुत ज्यादा हीट पैदा करते हैं. यही कारण है कि कई बार बड़ी-बड़ी कंपनियों में आगजनी की घटना हो जाती है. इसलिए डेटा सेंटर्स को ठंडा रखा जाता है. जिसके लिए पानी, एसी प्लांट, पंखा जैसे तरीके अपनाए जाते हैं.
क्या होते हैं डाटा सेंटर्स?
डेटा सेंटर्स उस जगह को कहा जाता है जहां पर सारा डाटा रखा जाता है. इन्हें बनाने के लिए बहुत बड़ी जगह चाहिए होती है. सबसे ज्यादा डाटा सेंटर में कंप्यूटर सर्वर का इस्तेमाल किया जाता है. यह सर्वर बहुत ज्यादा मात्रा में डाटा को प्रोसेसिंग कर अपने सर्वर में जानकारियों को एकत्रित करते हैं. आपको बता दें कि, ऑनलाइन के इस जमाने में डेटा सेंटर्स की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है. क्योंकि डाटा को किसी भी जगह सेफ रखना बड़ी चुनौती है. सबसे बड़ा डाटा सेंटर गूगल का है, जहां दुनियाभर के इंटरनेट यूजर का डाटा मौजूद होता है. हालांकि बढ़ती मांग के चलते पानी की खपत भी ज्यादा होगी. ऐसे में अब देखना होगा कि आने वाले समय में धरती पर पानी मिलेगा या फिर ये दुनिया को बदलने वाले डेटा सेंटर्स खर्च कर देंगे.
Image courtesy: https://9to5google.com/
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