दीपावली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जो साल भर में एक बार मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार का उत्साह पर्व से पूर्व ही शुरू हो जाता है। लोग कई दिनों पहले से ही लोग तैयारियां शुरू कर देते हैं। घर की साफ सफाई करते हैं और घर की साज सजावट करना शुरू कर देते हैं।
इसी के साथ दीपावली का पर्व भारत के हर एक राज्य में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। जलते हैं। हालांकि इस पर्व की समरसता, एकता, उत्साह सभी के लिए समान होता है। लेकिन इसके बावजूद इस पर्व के नाम और उसके पूजन आदि की विधियां अलग अलग हो जाती हैं। तो आइए जान लेते हैं दीपावली पूजन के अलग अलग रिवाजों के बारे में..
सिख समाज के लिए दाता बंदी छोड़ दिवस
सिख धर्म के अन्तर्गत दीपावली का पर्व दाता बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, सिख समाज के मुताबिक सिखों के 6वें गुरु हरगोविंद साहब और उनके साथ कई हिंदू राजाओं को जब जहांगीर की कैद से रिहा किया गया था, तब कार्तिक मास अमावस्या की रात थी। यही कारण है कि उस रात को सिख समाज में दाता बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है।
जैन समाज का मोक्ष निर्वाण दिवस पूजन
जैन धर्म के अन्तर्गत दीपावली के त्योहार का रिवाज बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि कार्तिक अमावस्या के दिन ही 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का मोक्ष निर्वाण हुआ था। यही कारण है कि कार्तिक अमावस्या के दिन शोभायात्रा निकाली जाती है।
बंगाली समाज मां काली का पूजन
पश्चिम बंगाल में दीपावली का त्योहार विशेषकर माता काली की पूजा का होता है। इस राज्य में दीपावली के शुभ अवसर पर माता काली की मूर्ति को से सजाया जाता है, उनको भोग में मिठाईयां, मछली आदि रखा जाता है। इसके बाद माता काली की घरों में विधिवत् पूजा अर्चना की जाती है। पश्चिम बंगाल में काली पूजा के दिन से एक दिन पहले भूत चतुर्दशी भी मनाई जाती है। इस रात घरों में 14 दिए जलाएं जाते हैं। जिसके पीछे मान्यता है कि इससे बुरी शक्तियों का नाश होता है। यहां हर वर्ष काली पूजा का भव्य आयोजन होता है। जिसके लिए सुंदर पांडाल भी तैयार किए जाते हैं।
उत्तर प्रदेश की देव दीपावली
भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में दीपावली नहीं बल्कि देव दीपावली मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल देव दीपावली कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। देव दीपावली, दीवाली के 15 दिन बाद आती है। माना जाता है कि इस दिन देवता पवित्र गंगा नदी में स्नान व दर्शन हेतु आते हैं। जिसके चलते गंगा नदी के तट को जगमगाते दीपों से सजा दिया जाता है. हर घर में माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा अर्चना होती है।
उड़ीसा में कौरिया काठी अनुष्ठान
भारत के ओडिशा में भी दीपावली के समय एक बेहद महत्वपूर्ण अनुष्ठान प्रयोग में लाया जाता है। जिसे कौरिया काठी कहा जाता है। इस अनुष्ठान में उड़ीसा के लोग जूट की छड़ें जलाकर स्वर्ग में अपने पूर्वजों का आवाह्न करते हैं। इस दीपावली के शुभ अवसर पर माता लक्ष्मी, गणपति जी और माता काली की पूजा की जाती है। साथ ही सब मिलकर दीपावली पर्व का आनंद लेते हैं।
महाराष्ट्र में वासु बरस
महाराष्ट्र राज्य में दीपावली का पावन पर्व गायों की सेवा से शुरू होता है। जिसे वासु बरस की रस्म कहा जाता है। इसके अलावा दीपावली से पूर्व धनतेरस का पर्व यहां प्राचीन चिकित्सक धन्वंतरि को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। इस विशेष पर्व पर सभी लोग देवी लक्ष्मी व गणपति जी की श्रद्धा भावना से पूजा करते हैं। साथ ही उनके आशीर्वाद के योग्य बनते हैं।
गुजरात
भारत के गुजरात राज्य में दीपावली का पर्व नव वर्ष की तरह मनाया जाता है। दरअसल, दीपावली पर्व के आने से गुजरात का नव वर्ष शुरू ही जाता है। मतलब यह है कि दिवाली के साथ ही गुजरात के लोगों का एक साल पूरा हो जाता है। जिसके बाद लोग धनतेरस, नरक चतुर्दशी, भाई दूज इत्यादि त्योहार मनाते हैं।
मध्य प्रदेश में दीपावली है नए साल का प्रतीक
दीपावली मध्य प्रदेश के व्यापारियों के लिए एक नए साल का प्रतीक मानी जाती है। इस पर्व पर देर रात तक बाजार खुलते हैं। लोग अपने परिवार के साथ पटाखे फोड़ते हैं, मिठाईयां खाते हैं व आनंद करते हैं। इसके अलावा इस राज्य की बैगा और गोंड जनजाति पारंपरिक नृत्य के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।
गोवा में श्री कृष्ण की दीपावली
गोवा राज्य में दीपावली श्री कृष्ण के सम्मान में मनाई जाती है। दरअसल श्री कृष्ण ने खतरनाक राक्षस नरकासुर का वध किया था। यह वध बुराई पर अच्छाई अथवा पाप की मुक्ति का प्रतीक है। इसलिए गोवा में लोग दीपावली के दिन अपने शरीर पर नारियल का तेल लगाने की प्रथा भी मानते हैं। उनके मुताबिक जिस तरह उत्तर प्रदेश में गंगा में डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति मिलती है उसी तरह तेल लगाने से भी पापों का नाश होता है.
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तमिलनाडु में दीपावली का पर्व
तमिलनाडु में भी दीपावली उत्तर भारतीयों की तरह ही मनाई जाती है। लोग इस दिन माता लक्ष्मी, काली व गणपति जी की सर्वप्रथम पूजा करते हैं। इस पर्व पर लोग लेहियम नाम की एक विशेष दवा भी बनाते हैं। साथ ही पितरों के लिए पितृ तर्पण भी किया जाता है।
बिहार में भी पांच दिन की दीपावली
उत्तर भारत की तरह बिहार में भी पांच दिन का दीपावली पर्व मनाया जाता है। जिसमें पहले दिन धनतेरस, नरक चतुर्दशी व बड़ी दीपावली, भैया दूज का पर्व मनाया जाता है। लोग अपने भाई बंधुओं के साथ मिलकर दीपावली के रात में पटाखे फोड़ते हैं और एक दूसरे को मिठाईयां खिलाकर जश्न मनाते हैं।