एक समय ऐसा भी था, जब हृदय संबिधित बीमारियों को बुर्जुगों की बीमारी कहा जाता था, मगर अब ऐसा कुछ नहीं है अब लोगों की दिनचर्या इतनी खराब हो गई हैं कि 25 साल के युवाओं में भी हृदय रोग के लक्षण दिखाई देते है। जैसे उच्च रक्तचाप और शुगर की बीमारी जिस तरह लोगों में कॉमन हो गई है, वैसे ही हृदय संबधित बीमारी भी हर 10 में से 2 लोगों में देखने को मिलती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार युवा पुरूषों की तुलना में युवा महिलाओं को रक्तचाप, मधुमेह और क्रोनिक किडनी आदि की समस्या ज्यादा होती है। एक सर्वे के अनुसार भारत में हर 33 सेकंड्स में एक व्यक्ति की मृत्यु दिल के दौरे के कारण होती है। भारत में 1 साल में दिल के दौरे के लगभग 20 लाख मामले होते हैं। आज हम इस लेख में जानेंगे कि आखिर दिल का दौरा पड़ता क्यों है? और इससे आप क्या लक्ष्ण होते हैं। इतना ही नहीं यह भी जानेंगे कि इसके क्या बचाव हो सकते है और इसके क्या उपाय हैं।
दिल का दौरा क्यों पड़ता है?
दिल का दौरा तब पड़ता है, जब हृदय तक जाने वाले ऑक्सीजन युक्त खून का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। यह वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों की वजह से होता है, जो कि हृदय तक खून पहुंचाने वाली धमनियों में प्लेक बनाकर उन्हें अवरुद्ध करते हैं। बाधित रक्त प्रवाह के कारण हृदय को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। यदि हृदय तक ऑक्सीजन न पहुंच पाएं, तो हृदय की मांसपेशियां नष्ट होने का खतरा ज्यादा रहता हैं।
दिल का दौरा के प्रकार
दिल के दौरे तीन प्रकार के होते हैं, जो कि निम्न हैं।
1. एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इन्फार्कशन (स्टेमी)
इसमें छाती के बीच में हल्का दर्द होता है। साथ ही दबाव और जकड़न महसूस होती है। वहीं, कई लोगों को को बाहों, गले, जबड़े आदि में दबाव और जकड़न महसूस होती है।
2. नोन-एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इन्फार्कशन (एनस्टेमी)
एनस्टेमी में कोरोनेरी धमनियां आंशिक रूप से अवरुद्ध होती हैं। एनस्टेमी से एलेक्ट्रोकार्डिओग्राम में एसटी सेगमेंट में कोई बदलाव नहीं आता है।
3. अस्थिर एनजाइना या कोरोनेरी ऐंठन
इसके लक्षण स्टेमी जैसे ही होते हैं, लेकिन इसे ज्यादातर अपच या फिर मांसपेशियों में दर्द समझ कर नज़रअंदाज़ किया जाता है। जब हृदय की धमनियां संकुचित हो जाती हैं, तब हृदय तक जाने वाले रक्त का प्रवाह रुक जाता है या कम हो जाता है। अस्थिर एनजाइना का निदान केवल इमेजिंग या रक्त की जांच से ही पता चलता है। कोरोनेरी ऐंठन से किसी भी प्रकार की खतरनाक हानि नहीं होती है, मगर इससे दिल का दौरा फिर से पड़ने का जोखिम बढ़ जाता है।
किन लोगों में होता है हार्ट अटैक का खतरा?
दिल का दौरा के कुछ जोखिम कारक इसकी संभावना बढ़ाते हैं कि आप कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) यानि कि coronary heart disease विकसित करेंगे और दिल का दौरा होगा।
हार्ट अटैक के लक्षण
1. छाती या बाहों पर दबाव पड़ना।
2. जकड़न या दर्द महसूस होना।
3. मतली, अपच, सीने में जलन होना
4. पेट में दर्द होना।
5. सांस लेने में कठिनाई होना।
6. भय, चिंता या फिर बीमारी के कारण कोल्ड स्वेट आना।
7. थकान।
8. चक्कर आना।
9. भूख का न लगना।
10. शारीरिक काम में जल्दी थकान होना।
हार्ट अटैक के कारण
1. धूम्रपान
2. उच्च कोलेस्ट्रॉल
3. मोटापा
4. व्यायाम की कमी
5. शराब का सेवन
6. तनाव
7. उच्च रक्तचाप
8. एसिडिटी
9. पैनिक अटैक
10. निगलने की समस्या
दिल का दौरा से बचाव
1. स्वस्थ आहार के साथ-साथ स्वस्थ वज़न बनाए रखें।
2. धूम्रपान ना करें
3. रोज़ व्यायाम करें
4. ज़्यादा तनाव ना लें
5. हाई बीपी, रक्त में कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर पर नियंत्रण रखें।
6. नियमित ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहे
7. मधुमेह को नियंत्रण रखें
8. शराब का सेवन कम करें
9. तली हुई सब्जियां, तला हुआ मांस, शीतल पेय, अधिक नमक वाला भोजन, मीठी चीजें, सफेद चावल आदि के सेवन से बचें।
10. मल-मूत्र को ना रोके
हार्ट अटैक का निदान कैसे करें?
डॉक्टर के पास जाएं वह रोगी के लक्षणों के आधार पर उसकी शारीरिक जांच करेगा और निदान करने के लिए रोगी की उम्र, स्वास्थ्य, चिकित्सा इतिहास और परिवार के इतिहास को ध्यान में रखेगा। साथ ही रोगी का एक्स-रे, सीटी स्कैन, इकोकार्डियोग्राम, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी, रक्त परीक्षण, कार्डिएक कैथीटेराइजेशन आदि की जांच की जाती है।
हार्ट अटैक का इलाज
कहा जाता है कि हार्ट अटैक के बाद पूर्णरूप से ठीक होना बहुत ही मुश्किल है। और इसमें यदि दूसरी बार हार्ट अटैक आ जाए तो व्यक्ति का बचना नामुमिक हो सकता है। मगर यह कथन कहीं-कहीं सत्य नहीं होता है। बता दें, जैसे अन्य बीमारी का इलाज संभव हैं। उसकी प्रकार दिल के दौरे का भी इलाज संभव है। इसका इलाज कई माध्यमों से किया जा सकता है।
1. ईसीजी
दिल का दौरा ईसीजी के जरिए भी ठीक हो सकता है। इस टेस्ट के द्वारा दिल की धड़कनों की स्थिति का पता लगाया जाता है और यदि उसमें कोई दिक्कत होती है, तो उसे ठीक किया जाता है।
2. दवाई लेना
हार्ट अटैक का इलाज दवाईयों के द्वारा भी किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर व्यक्ति को रक्तचाप की गोली, डायबिटीज की गोलियां आदि देते हैं। ये दवाईयां हार्ट अटैक की संभावना को कम करती हैं।
3. बाईपास सर्जरी कराना
दिल के दौरे का इलाज बाईपास सर्जरी के द्वारा भी किया जा सकता है। इस सर्जरी के द्वारा दिल तक रक्त प्रवाह को ठीक किया जाता है, जिससे वहां मौजूद ब्लॉकेज को ठीक किया जा सके।
4. ह्रदय प्रत्यारोपण सर्जरी कराना
यह सर्जरी डॉक्टर तब करते हैं, जब हार्ट अटैक का इलाज किसी भी तरीके से नहीं हो पाता है। यह सर्जरी इस समस्या को ठीक करने का एक मात्र तरीका है, जिससे व्यक्ति को नई ज़िंदगी दी जाती है।
5. पेसमेकर का इस्तेमाल करना
कई बार, हार्ट अटैक का इलाज पेसमेकर से भी किया जाता है। पेसमेकर दिल की धड़कनों को नियमित करने में सहायक साबित होता है।