Delhi Service Bill: देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक बार फिर जीत हुई है. राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल (Delhi Service Bill) पास हो गया है. अब दिल्ली सरकार से तबादले के अधिकार केंद्र सरकार के पास चले जाएंगे. इसे अरविंद केजरीवाल की बड़ी हार बताई जा रही है. दरअसल, संसद में बीजेपी को 131 वोट पड़े और विपक्ष में 102 वोट पड़े. हालांकि अभी इस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मुहर लगना बाकी हैं. दिल्ली सेवा बिल (Delhi Service Bill) पास होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने सतारूढ़ पार्टी बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. केजरीवाल ने कहा कि, बीजेपी के लिए आम आदमी पार्टी को दिल्ली में हराना बहुत मुश्किल है. आम आदमी पार्टी से बीजेपी सीधे-सीधे चार चुनाव हारी है. इसे देखकर उन्हें लगा कि आम आदमी पार्टी को हराना मुश्किल है तो चोर दरवाजे से अपनी चाल चल दी.
पीएम मोदी को घमंड- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अहंकार हो गया है. PM मोदी सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानते हैं. वहीं जनता ने भी क्लियर कहा था कि दिल्ली में केंद्र हस्तक्षेप न करे, लेकिन पीएम मोदी इसे नहीं माना. इतना ही नहीं पीएम मोदी तो अपनी बात पर भी अडिग नहीं रहे पाए. दरअसल, उन्होंने चुनावी पर्चा में दिल्ली को संपूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का वादा किया था. केंद्रीय मंत्री अमित शाह घर-घर जाकर पर्चे बांट रहे थे, लेकिन अब वही दिल्ली के लोगों के पीठ में छुरा घोंप रहे हैं. इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल ने I.N.D.I.A गठबंधन का आभार व्यक्त किया।
अमित शाह ने दिए सवालों से जवाब
सदन में दिल्ली सेवा बिल (Delhi Service Bill) पास होने के बाद अमित शाह ने चर्चा में विपक्ष का जवाब देते हुए कहा कि यह बिल किसी भी एंगल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं करता है. इसका हम सबूत देंगे. उन्होंने कहा कि दिल्ला सेवा बिल दिल्ली में मौजूदा सरकार केंद्र सरकार के अध्यादेश को बदलने की कोशिश में है. कांग्रेस पर निशाना साधते हुे शाह ने कहा कि दिल्ली सेवा बिल किसी PM को बचाने के लिए नहीं है.
शाह ने समझाया डेमोक्रेसी क्या होती है
अमित शाह ने हंगामे के बीच कहा कि कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का हक नहीं है. आम जनता पार्टी की बैठी कांग्रेस यह बिल पहले लेकर आई थी. उन्होंने आगे कहा कि देश के पूर्व PM की सदस्यता बचाने के लिए ये बिल नहीं लाए. शाह ने कहा कि जब यह बिल पर चर्चा कर रहे थे, तो मुझे डेमोक्रेसी समझा रहे थे. लेकिन अब मैं उनको समझाता हूं कि आखिर डेमोक्रेसी क्या होती है. इमरजेंसी में तीन लाख से ज्यादा राजनीतिक दल के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. साथी ही अखबारों को CENSIOR में डाल दिया गया था.
Delhi Service Bill पर लड़ाई क्यों?
दिल्ली सेवा बिल को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच लंबे समय से लड़ाई चल रही है. हालांकि अब फैसला केंद्र सरकार के फेवर में आ गया है. अब इस पर राष्ट्रपति की मुहर लगना बाकी है. मुहर लगने के बाद ये विधेयक मई में आए अध्यादेश की स्थान ले लेगा. हालांकि इस विधेयक में से धारा 3ए का हटा दिया गया है. क्योंकि इस धारा के तहत सर्विसेस पर दिल्ली विधानसभा का कोई नियंत्रण नहीं होता और उपराज्यपाल को ज्यादा RIGHTS देती. हालांकि, इस बिल में एक प्रावधान ‘National Capital Civil Services Authority के गठन से जुड़ा है. इस अथॉरिटी के अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और नियंत्रण से जुड़े फैसलों का अधिकार होगा.
मुख्यमंत्री होंगे अथॉरिटी के सभापति
आपको बता दें कि इस अथॉरिटी के सभापति मुख्यमंत्री होंगे. उनके अलावा इसमें मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव भी होंगे. ये अथॉरिटी जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी मामलों से जुड़े ऑफिसर्स के तबादले और पोस्टिंग की सिफारिश करेगी. ये सिफारिश उपराज्यपाल से की जाएगी. इतना ही नहीं, अगर किसी अफसर के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी है तो उसकी सिफारिश भी ये अथॉरिटी ही करेगी. इसके अलावा अगर कोई मतभेद होता है तो आखिरी फैसला उपराज्यपाल का ही माना जाएगा.