आजकल के समय में अधिकतर लेनदेन ऑनलाइन ट्रांजैक्शन द्वारा ही किए जाने लगे हैं। हालांकि ऑनलाइन लेन-देन की प्रणाली से पहले चैक, हुंडी, बैंक ड्राफ्ट इत्यादि साख पत्रों का ही प्रयोग किया जाता था। लेकिन ऑनलाइन प्रणाली आने के बाद से इनका प्रयोग पहले के मुताबिक कम होने लगा है। बेशक, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के माध्यम से लोग सरलता से भुगतान प्राप्त भी कर सकते हैं और भुगतान अदा भी कर सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद आज के समय में भी अधिकांश लोग भुगतान के लिए चेक का प्रयोग मुख्य तौर पर किया करते हैं।
दरअसल, चैक एक शर्त रहित लिखित आज्ञा पत्र होता है जिस पर लेखक के हस्ताक्षर होते हैं तथा जिसका लिखने वाला बैंक-विशेष को यह आदेश देता है कि वह निश्चित धनराशि का भुगतान चेक में लिखित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति अथवा वाहक को कर दे। हालांकि चैक एक सुरक्षित भुगतान पत्र है परन्तु चेक का भुगतान करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। यदि आप चेक लिखते समय उन बातों का ध्यान नहीं रखते हैं तो आपका चेक बाउंस अथवा तिरस्कृत हो जाता है।
आज के आर्टिकल के जरिए हम आपको इसी विषय में जानकारी देने वाले हैं। यदि आप अपने भुगतान के लिए विशेषकर चैक का प्रयोग करते हैं और जानना चाहते हैं कि आखिर चैक बाउंस क्यों होता है तो आर्टिकल के अंत तक जरूर पढ़ें।
चैक लिखते समय ध्यान रखें इन बातों को
दोस्तों, बैंक के लिए चैक लिखते समय आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना अनिवार्य होता है।
1. चैक पर दिनांक अथवा तारीख
चैक पर दिनांक लिखना बेहद जरूरी होता है। सामान्यत जिस दिन चैक लिखा जाता है उसी दिन की तारीख चैक पर लिख दी जाती है। लेकिन कभी-कभी चैक पर आगे की तारीख भी लिख दी जाती है। ऐसा तब होता है जब लेखक भविष्य में किसी निश्चित तारीख को कोई रुपया अदा करना चाहता है। ऐसे दशा में जब तक उस तारीख का दिन नहीं आ जाता है तब तक चैक का भुगतान नहीं हो सकता है।
2. चैक पाने वाले का नाम
चैक प्राप्त करने वाले व्यक्ति, फर्म अथवा संस्था का नाम चैक पर साफ तौर पर लिखना चाहिए। पाने वाले का नाम लिखते समय आदर सूचक शब्दों एवं डिग्री, जैसे- श्रीमान, श्रीमती, पंडित, डॉ, प्रोफेसर, इंजीनियर आदि नहीं लिखा जाना चाहिए। ध्यान रहें, यदि चैक का लेखक स्वयं अपने लिए रुपए निकालना चाहता है तो चैक के लेखक के नाम की जगह पर स्वयं (self) शब्द लिखा जाता है।
3. चैक की राशि
चैक में लिखी जाने वाली रकम में किसी भी प्रकार की काट छांट या ऊपरी लेख (overwriting) नहीं होनी चाहिए। यदि कोई कटिंग हो तो उस पर अपने नमूने के हस्ताक्षर कर देनी चाहिए। शब्दों में रकम लिखने के बाद केवल (Only) शब्दों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। जालसाजी से बचने के लिए आजकल चैक संरक्षण यंत्र यानि चैक प्रोटेक्टर का प्रयोग किया जाता है।
4. हस्ताक्षर
चैक में हस्ताक्षर के स्थान पर लेखक के हस्ताक्षर किए जाते हैं। चैक पर हस्ताक्षर करते समय काफी सावधानियां बरतनी चाहिए। यदि हस्ताक्षर गलत हुआ तो बैंक द्वारा आपको चेक का भुगतान करने से मना कर दिया जाएगा। इसके अलावा आपको चैक पर वही हस्ताक्षर करना जरूरी होता है जो आपने बैंक की हस्ताक्षर पुस्तिका में दर्ज कराया है।
5. प्रतिपर्ण पूर्ति
चैक के बाई तरह वाली जगह को प्रतिपर्ण कहा जाता है। इस जगह पर दिनांक, पाने वाले का नाम, धनराशि और भुगतान करने का उद्देश्य भरना होता है। चैक का यह भाग आपके भविष्य के संदर्भ के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यदि आप चैक लिखते समय सावधानी नहीं रखते हैं तो आपके चैक का बैंक द्वारा भुगतान नहीं किया जाएगा। इसलिए चैक को लिखते समय उपरोक्त बातों का ध्यान विशेष तौर पर देना जरूरी है।
चैक का बाउंस, अनादरण अथवा तिरस्कृत होना
जब कोई बैंक किसी चैक का किसी कारण से भुगतान नहीं करती है तो उस स्थिति में चैक का बाउंस, अनादरण अथवा तिरस्कृत हो जाता है। यूं तो बैंक के लिए ग्राहक द्वारा लिखे जाने वाले हर एक चैक का भुगतान करना जरूरी होता है परन्तु निम्नलिखित देशों में बैंक इस प्रकार कुछ कारण विशेष लिखकर चैक को वापस कर देता है।
1. दिनांक का नहीं लिखा होना
यदि किसी चैक पर तारीख नहीं लिखी गई होती है तो बैंक ऐसे चैक के ऊपर No Date or without date लिखकर चैक वापस कर देता है।
2. विकृत चैक
यदि चैक कहीं से कट फट गया है या मेला हो गया है तो बैंक ऐसे चैक पर कटा फटा चैक (Mutilated Cheque) लिखकर ग्राहक को वापस लौटा देता है।
3. पूर्ण राशि का ना होना
यदि किसी ग्राहक के खाते में पूरी धनराशि नहीं है अर्थात ग्राहक के खाते में चैक में लिखी राशि से कम राशि जमा है तो ऐसे में बैंक द्वारा चैक का भुगतान नहीं किया जाता है। ऐसे चैक पर (No Fund or Insufficient Fund) लिखकर चैक लौटा देता है।
4. राशि के शब्दों में अंतर
यदि चैक में धनराशि लिखते समय राशि के अंकों और शब्दों में अंतर हो जाता है तो बैंक ऐसे चैक को स्वीकार नहीं करता है।
5. हस्ताक्षरों में अंतर
यदि चैक पर किए गए लेखक के हस्ताक्षर उसके नमूने के हस्ताक्षर से अलग होते हैं तब भी बैंक चैक लेने से इंकार कर देता है।
6. अपूर्ण चैक
यदि चैक में कोई बात लिखने से रह जाती है तो बैंक ऐसे चैक को नहीं लेता है और उस पर अपूर्ण चैक शब्द लिखकर चैक लौटा देता है।
7. लेखक का बैंक में खाता ना होना
यदि चैक के लेखक का बैंक में खाता ही ना हो तब बैंक उस चैक पर खाता नहीं (No Account) शब्द लिखकर चैक को वापस कर देता है।
8. खाता बंद होना
यदि चैक के लेखक ने बैंक में चैक प्रस्तुत किए जाने से पहले ही अपना खाता बंद कर दिया है तो बैंक ऐसे चैक का भुगतान नहीं करता है और उस पर खाता बंद (Account closed) शब्द लिखकर वापस कर देता है।
9. लेखक की मृत्यु
यदि चैक बैंक में भुगतान के लिए प्रस्तुत किए जाने से पहले चैक के लेखक की मृत्यु हो जाती है और इसकी सूचना बैंक को मिल जाती है तो बैंक चैक का भुगतान नहीं करता है और उस पर लेखक की मृत्यु शब्द लिखकर उस चैक को वापस कर देता है।
10. अदालत का आदेश
यदि बैंक को किसी चैक के भुगतान न किए जाने के संबंध में किसी अदालत से कोई आदेश मिल गया हो तो बैंक ऐसे चैक का भुगतान नहीं करता है तथा उस पर अदालती आदेश नहीं (Garnishee order) शब्द लिखकर चैक को वापस कर देता है।
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निष्कर्ष
इस प्रकार आज के आर्टिकल में हमने आपको बताया कि एक चैक को लिखते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन कारणों से आपका चैक बाउंस हो सकता है। उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए लाभदायक रही होगी।
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