भारत में बीजेपी (BJP) एक बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है. साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पार्टी का पूरे देश में बोलाबाला रहा है. लोगों की पसंद बन गए हैं मोदी. और उनकी वजह से पार्टी को फायदा भी हुआ है. नेशनल पार्टी कांग्रेस को भी बीजेपी (BJP) ने पीछे छोड़ दिया है. बीजेपी (BJP) एक हिंदुवादी पार्टी है. लेकिन अब बीजेपी (BJP) हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिमों को भी साधने में जुट गई है. जी हां…जो मुस्लिम सुमदाय बीजेपी को अपनी विरोधी मानता है. उसी वर्ग को बीजेपी (BJP)अपना दोस्त बनाने के लिए उतावली हो रही है. दरअसल अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. लेकिन, सभी राजनीतिक दलों ने अभी से ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया है. स्पेशल बीजेपी (BJP) ने अपनी कमर कस ली है. और दूसरे दलों को धूल चटाने के लिए मुस्लिम कार्ड पर दाव खेलने का प्लान बना रही है. वैसे तो बीजेपी (BJP) की नजर हर वर्ग और समुदाय पर है. लेकिन अब सत्ता हासिल करने के लिए मुसलमानों पर भी फोकस करने में जुट गई है. उसी समुदाय को अपना ‘दोस्त’ बनाना चाहती है. इसके लिए अब बीजेपी (BJP) ने मुसलमानों को ‘मोदी मित्र’ बनाने की रणनीति बनाई है. तो आइए इस आर्टिकल में हम जानते हैं कि आखिर कैसे काम करेगी मोदी की नई रणनीति?
65 सीटों पर चलेगा ‘मोदी मित्र’ अभियान
बीजेपी के प्लान के मुताबिक, पार्टी ने देश की ऐसी 65 लोकसभा सीटों को चुना है, जहां मुस्लिमों की आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है. इन सीटों पर बीजेपी ने 5000-5000 मुस्लिमों को मोदी मित्र बनाने का लक्ष्य रखा है. जो इनफ्लुएंसर्स की भूमिका निभा सकते हों. ये लोग बीजेपी के नहीं होंगे. बल्कि वे होंगे जिन्हें मोदी सरकार की वेलफेयर स्कीम का फायदा हुआ है. दरअसल, बीजेपी मुस्लिमों की 14 फीसदी आबादी को भी बीजेपी अपने साथ जोड़ना चाहती है. इस अभियान की शुरुआत ईद के बाद यानि 25 अप्रैल से हो जाएगी, जोकि एक साल चलाया जाएगा. हालांकि, बीजेपी ने 15 मार्च से ही ‘सूफी संवाद महाअभियान’ की भी शुरुआत की है, जिसका मकसद सूफी समुदाय के लोगों को बीजेपी से जोड़ना है.
आखिर क्या है बीजेपी का प्लान?
अब सबके मन में सवाल है कि आखिर बीजेपी (BJP) इस अभियान के जरिए मुस्लिमों को कैसे रिझाएगी. तो इसका जवाब है कि पार्टी पहले जिला स्तर और बाद में ब्लॉक स्तर पर बनाए जाने वाले इन ‘मोदी मित्र’ कार्यकर्ताओं के माध्यम से संबंधित क्षेत्रों के हर मुस्लिम वोटर के घर तक पहुंचने की कोशिश करेगी. लोगों को केंद्र सरकार के कार्यों और PM के संदेश को उन तक पहुंचाते हुए उन्हें बीजेपी (BJP) से जोड़ने की रणनीति अपनाई जाएगी. देशभर में मुस्लिमों के साथ जनसंपर्क अभियान शुरू किया जाएगा. ताकि पार्टी के साथ मुसलमानों को भी जोड़ा जा सके. बीजेपी मुस्लिमों के घर-घर में जाकर मोदी सरकार की नीतियों, योजनाओं और कार्यों से भी अवगत कराएगी. हर विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा क्षेत्र में ऐसे तमाम मुस्लिम समुदाय के लोगों की बीजेपी तलाश करेगी, जो किसी भी पार्टी से जुड़े नहीं हैं. वो न ही बीजेपी के सदस्य हैं, न ही कांग्रेस या अन्य किसी पार्टी के, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी की नीतियों से जरूर प्रभावित हैं.
बीजेपी को उम्मीद है कि ऐसे लोग हर क्षेत्र में 5 से 10 हजार मिल जाएंगे. इसके लिए पार्टी ने उन जगहों की पहचान की है, जहां मुस्लिमों की आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है. दरअसल बीजेपी (BJP) मुस्लिम समुदाय पर काफी समय से फोकस कर रही है. बीजेपी विभिन्न त्योहारों के माध्यम से भी मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाने का काम कर चुकी है. पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को केरल के मुस्लिम और ईसाई परिवारों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने का निर्देश दिया है.
समाज पर प्रभाव डालने वालों पर रहेगी BJP का नजर
बीजेपी के प्लान के मुताबिक, पार्टी की सिर्फ आम मुस्लिम समुदाय के लोगों पर फोकस नहीं रहेगा, बल्कि समाज पर प्रभाव डालने वालों पर भी खास खास नजर रहेगी. जैसे- डॉक्टर, इंजीनियर, सोशल वर्कर, जर्नलिस्ट, प्रोफेसर. या यूं कहें कि ये लोग राजनीतिक एक्टिविस्ट नहीं होंगे हैं, लेकिन समाज पर प्रभाव डालने की ताकत रखते हैं. इन्हें पार्टी से जोड़ने के लिए ‘मोदी मित्र’ बनाया जाएगा. ताकि मोदी सरकार के संदेश और नीतियों को मुसलमानों के बीच अच्छे तरीके से डिलीवर कर सकें. बीजेपी की योजना हर एक लोकसभा में मोदी मित्र बनाने की है.और फिर हर एक लोकसभा सीट पर उनका सम्मेलन करने की योजना भी है. फिलहाल बीजेपी (BJP) कार्यकर्ता मुस्लिम समुदाय के इलाकों में इस्लामिक त्योहारों पर पहुंच रहे हैं और उन्हें अपने घर भी आमंत्रित कर रहे हैं. पार्टी को लगता है कि इससे वह वामपंथी किला भेदने में कामयाब रहेगी.
आखिर क्यों जाग उठा BJP का मुस्लिम प्रेम?
इंडिया में मुस्लिमों की आबादी 14 फीसदी है, जो सियासी तौर पर काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से BJP इस कोशिश में लगी है कि मुस्लिमों के बीच अपनी जगह बनाए, लेकिन मुस्लिमों का दिल अभी तक नहीं पसीजा है. बीजेपी (BJP) इस बात को बखूबी जानती है कि अगर वह इस समुदाय को भी अपने साथ जोड़ ले तो उसके लिए आगे का रास्ता और भी आसान हो जाएगा. इसीलिए बीजेपी मुस्लिमों के दिल में जगह बनाने के लिए कई तरह से काम कर रही है. पसमांदा मुस्लिमों को फोकस करने के से लेकर सूफी सम्मेलन और शिया मुस्लिमों को भी जोड़ने की कवायद कर रही है.
किन सीटों पर BJP की नजर?
बीजेपी (BJP) अल्पसंख्यक मोर्चा ने मुसमलानों को ‘मोदी मित्र’ बनाने के लिए 65 मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों को टारगेट किया है. उनमें उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से 13-13 सीटें शामिल की गई हैं. जम्मू-कश्मीर से 5, बिहार से 4, केरल और असम से 6-6, मध्य प्रदेश से तीन, तेलंगाना और हरियाणा से 2-2 और और महाराष्ट्र और लक्षद्वीप से 1-1 सीट शामिल हैं. इन सीटों पर बीजेपी (BJP) के साथ-साथ आरएसएस से जुड़े ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’ मुसलमानों के साथ ‘संवाद और संपर्क’ कर रहा है. बता दें कि 543 लोकसभा सीटों में से 80 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से अधिक है. जबकि 65 सीटों पर 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 20 फीसदी से ज्यादा वाली कुल 80 सीटों में से 58 सीटों पर जीत हासिल की थी और 22 सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि अब देखना दिलचस्प होगा कि मोदी मित्र के बहाने क्या बीजेपी 2024 में मुस्लिमों के बीच अपनी पैठ बना पाएगी?