हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल महाशिवरात्रि (Mahashivratri) फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। लोगों का ऐसा मानना है कि इसी दिन भगवान शिव और पार्वती जी की शादी संपन्न हुई थी। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि इसी दिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का पृथ्वी पर प्रकाट्य हुआ था।
वहीं इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने और उपवास रखने का विधान है। पुराणों के मुताबिक, माता सती का पार्वती के रूप में दोबारा जन्म हुआ था।
माता पार्वती ने शुरुआत में अपनी सुन्दरता से भगवान शिव को मोहित करने की कोशिश की लेकिन वे असफल रहीं। जिसके बाद त्रियुगी नारायण से पांच km की दूर पर गौरीकुंड में विकट ध्यान और साधना से उन्होंने भगवन शिव को मोहित कर ही लिया। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की शादी संपन्न हुई।
भगवान शिव को खुश करने और व्रत रखने कई जरुरी नियम हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन नियमों का पालन करना जरुरी है। इन नियमों का पालन करने पर महाशिवरात्रि उपवास का अच्छा परिणाम मिलता है। साथ ही भगवान शिव की कृपा दृष्टि बनी रहती है।
आखिर क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि?
पूरी दुनिया में लोग भगवान शिव की परिकल्पना अपनी-अपनी निष्ठा के समान करते हैं। कई लोग उन्हें बाबा बर्फानी के रूप में तो कई उन्हें भोले के रूप में पूजते हैं। वहीं कई लोग उनको विश का प्याला पीने वाले महादेव के तौर पर जानते हैं तो कई उन्हें हांथ में डमरू त्रिशुल लेके पूरे जगत में नचाने वाले मदारी के तौर पर जानते हैं।
भगवान शिव को आदि और असीम माना गया है। भगवान शिव धरती से आसमान और जल से अग्नि हर जगह में प्रकाशमान हैं।
सभी देवों में एक मात्र भगवान शिव ही हैं जो अपने भक्तों की श्रद्धा से काफी जल्दी प्रसन्न होते हैं। महाशिवरात्रि के पावन पर्व के विषय में ऐसी मान्यता है कि संसार के प्रारंभ में इस दिन अर्धरात्रि को भगवान शिव का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवरोहण हुआ था।
पुराणों के मुताबिक़ महाशिवरात्रि पर यदि किसी भी समय अगर भगवान शिव की आराधना की जाए तो वे दिल खोलकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भगवान शिव को पूजने के लिए महाशिवरात्रि ही सबसे बड़ा त्योहार है। फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
कैसे प्रकट हुआ शिवलिंग
एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच महानता को लेकर मतभेद हो गया। जब उन दोनों में मतभेद बहुत ज्यादा बढ़ गया, तब आग की ज्वालाओं में लिपटा हुआ लिंग भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच आकर स्थापित हुआ, उस वक्त वे दोनों ही उस लिंग का गुप्त भेद नहीं समझ पाए।
इस गुप्त भेद के बारे में भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने हजारों सालों तक तलाश की फिर भी वे इस लिंग का स्त्रोत नहीं ढूंढ पाए। आखिर में हताश होकर भगवान विष्णु और ब्रह्मा वहीं आ गए जहां उन्होंने लिंग को देखा था। वहां वापस पहुंचने पर उन्हें ओम की आवाज सुनाई दी, जिसे सुनकर उनको महसूस हुआ कि यह कोई शक्ति है। जिसके बाद वे दोनों उस ओम के ध्वनि की उपासना करने लगे।
देवों की उपासना से खुश होकर स्थापित हुए उस लिंग से भगवान शिव सामने आए और सदबुद्धि का आशीर्वाद दिया। भगवान विष्णु और ब्रह्मा को वरदान देकर शिवजी वहां से चले गए। उसके बाद भगवान शिव एक शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए और भगवान शिव का यह पहला शिवलिंग माना जाता है। सर्वप्रथम भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने उस लिंग की आराधना की थी। तभी से शिवलिंग की पूजा करने की प्रथा शुरु हुई।
शिव जी की पूजा का महत्व
शिवपुराण के अनुसार सर्वप्रथम भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने उस लिंग की आराधना की थी। शिवपुराण के मुताबिक अगर कोइ भी भक्त शिवरात्रि के मौके पर दिन रात उपवास एवं आत्मवश होकर अपनी पूरी शक्ति और क्षमता से पवित्र मन से भगवान शिव की अच्छे से अराधना करता है, वह पूरे साल शिव अराधना करने का पूर्ण फल तुरंत पा लेता है।
शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति पूरे मन से भगवान शिव की अराधना करता है वह अत्यधिक भाग्यवान होता है। शिवलिंग की अराधना करने से सारे देवी-देवताओं के अभिषेक का फल तुरंत प्राप्त होता है। भगवान महादेव हमें मत्सर, क्रोध काम, लोभ, मोह इत्यादि जैसे बाधाओं से आजाद करके परम सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि के दिन क्या करें और क्या न करें
महाशिवरात्रि पर क्या करें
महाशिवरात्रि के पावन मौके पर शिवजी के साथ साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और नंदी की अराधना भी करें। क्योंकि ये सब लोग भगवान शिव के परिवार का हिस्सा हैं।
महाशिवरात्रि के मौके पर आपका उपवास है तो महाशिवरात्रि की व्रत कथा जरुर सुनें या पढ़ें। ऐसे बहुत लोग हैं जो उपवास तो रखते हैं पर कथा नहीं सुनते। ऐसा करने से आपको उपवास का पूरा फल प्राप्त नहीं होगा।
इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए बेलपत्र और गंगाजल जरुर शामिल करें। बेलपत्र और गंगाजल के समर्पण से शिवजी प्रसन्न होंगे।
भगवान शिव को पूजा में शहद, भस्म सफेद चंदन, दही, सफेद फूल, धतूरा, दूध की मिठाई, भांग, इत्यादि अपृण करें।
महाशिवरात्रि के मौके पर उपवास रखने वाले को को ब्रह्मचर्य का निष्पादन करना चाहिए।
रात में सही मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए और अगले दिन सुबह तृप्ति करके उपवास खोलना चाहिए।
महाशिवरात्रि पर क्या न करें
महाशिवरात्रि के पावन मौके पर और उससे एक दिन पहले से लहसुन, प्याज, मांसाहार, शराब जैसे चीजों से बिलकुल दूर ही रहें।
उपवास रखने वालों को सोना नहीं चाहिए।
भगवान शिव की अराधना में सिंदूर, रोली, हल्दी, मेंहदी जैसी चीजों का उपयोग न करें।
भगवान शिव की अराधना में तुलसी, नारियल, शंख, काले तिल जैसी चीजों का बिलकुल उपयोग न करें।
कनेर, केवड़ा, केतकी, कपास जैसे फूल भी शिवरात्रि की पूजा के लिए वर्जित हैं।
By Blogopedia