Island of Gold: सोने से बनी सभी चीजें बेहद महंगी होती हैं और साथ ही यह लोगों आकर्षित भी करती हैं। सोने की महंगाई के कारण हर कोई इसे खरीदना तो चाहता है मगर खरीद नहीं पाता। हां लेकिन ऐसे में यदि किसी सोने का पूरा द्वीप सामने आए, तो क्या ही बात हो।
जी हां, आपने सही सुना सोने का द्वीप! …विश्व में एक ऐसा भी देश है जहां पर अचानक एक नदी में सोने का द्वीप मिला है। इस द्वीप से बौद्ध मूर्तियां, सोने के जेवर, कीमती सिरेमिक बर्तन और सोने की अंगूठियां मिल रहीं हैं।
तो आइए जानते हैं सोने से भरे इस द्वीप (Island of Gold) के बारे में:
इंडोनेशिया में है यह सोने का द्वीप
यह सोने के द्वीप इंडोनेशिया के पालेमबैंग प्रांत की मूसी नदी में मौजूद है। मूसी नदी में इस सोने के द्वीप (Island of Gold) की खोज बस कुछ वक्त पहले ही हुई है। जबसे ये द्वीप मिला है तभी से लोगों ने बहुत लोक कथाएं बताइ, जो पहले के समय में चलती थी। असल में तो इस सोने के द्वीप की सच्चाई एक कहानी की तरह प्रतीत होती है। हालांकि इंडोनेशिया का ये द्वीप एक सच है।
किसने खोजा सोने का यह द्वीप (Island of Gold) ?
ये बात कुछ वर्ष पहले की है जब इंडोनेशिया में कुछ मछुआरों ने सुमात्रा द्वीप पर सोने के खजाने के लिए मशहूर इंडोनेशियाई एंपायर को ढूंढा था। लोग इसको सोने के आइलैंड (Island of Gold) के नाम से भी जानते हैं। असल में तो बीते कई सालों से, मछुआरे खजाने की खोज में थे। इसमें रत्न, बौद्ध मूर्तियां, अंगूठियां, सिक्के और बहुत सारी मुल्यवान वस्तु शुमार थीं। इंडोनेशिया के पालेमबैंग प्रांत की मूसी नदी में मौजूद ये सोने का आइलैंड रात के वक्त वहां गोता लगाने के दौरान मिला था।
पुरानी कहानियों का क्या कहना है?
इंडोनेशिया से जुड़ी प्राचीन कहानियों में बहुत बार यह जिक्र किया गया है कि वहां खजाना छिपा है। इस वजह से मछुआरे बीते बहुत सालों से पालेमबांग के पास मुसी नदी में इसे ढूंढ रहे थे। फिर एक दिन मछुआरों को रत्न, बौद्ध मूर्तियां, अंगूठियां, सिक्के इत्यादि वाला यह द्वीप मिला। इस द्वीप को देख वे काफी हैरान रह गए। आपको बता दें कि इस सोने के द्वीप (Island of Gold) से 8वीं शताब्दी की गहनों से सजी बुद्ध की बहुत बड़ी प्रतिमा भी मिली है।
कैसे इसका ताल्लुक भारत से है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये मूर्तियां श्रीविजय सिवलाईज़ेशन के दौरान की हैं। श्रीविजय एंपायर 7वीं और 13वीं शताब्दी के मध्य एक बहुत ताकतवर साम्राज्य रहा है। हालांकि कुछ वक्त के बाद यह एक रहस्य की तरह विलीन हो गया। लोगों का कहना है की श्रीविजय साम्राज्य के भारत के साथ अच्छे और घनिष्ठ सम्पर्क थे। श्रीविजय एंपायर ‘वाटर वर्ल्ड’ हुआ करता था। यहां के लोग लकड़ी की नावें बनाकर उनका इस्तेमाल करते थे। वहीं, बहुत से लोगों का घर तो नावों पर ही होता था।
- चिलचिलाती गर्मी के मौसम में आप घूम सकते हैं नॉर्थ-ईस्ट की इन जगहों पर
- दुनिया का वो देश जहां के लोग है सबसे खुशहाल, हर कोई देखता है इस देश में जाने के सपने
- भारत के इस अनोखे गांव में नहीं चलता देश का संविधान, यहां चलता है अपना कानून!
- Jal Mahal: पानी में तैरता 300 साल पुराना महल, बेहद रोमांचक है इसकी कहानी!
- 10 Best Places to Celebrate Holi in India | भारत में होली मनाने की 10 सबसे अच्छी जगहें
- युवाओं के लिए आखिर क्यों है इस साल का सांभर फेस्टिवल इतना खास!
- खतरनाक सांपों से भरे इस आईलैंड पर नहीं जाता कोई इंसान, जो गया उसका लौटना नामुमकिन
इन रहस्यों को पूरी तरह से गुप्त रखा
श्रीविजय साम्राज्य ने अपने रहस्यों को पूरी तरह से गुप्त रखा। इस श्रीविजय साम्राज्य की राजधानी में 20,000 से ज्यादा सैनिक थे। वहां अधिक संख्या में बौद्ध भिक्षु भी थे। इस गुप्त साम्राज्य की खोज के लिए बहुत अभियान चलाए, हालांकि असफलता ही मिली। थाईलैंड से लेकर भारत तक ये अभियान चलाए गए। लेकिन आज अद्भुत चीजें देखने को मिल रही हैं। इस द्वीप से बौद्ध मूर्तियां, सोने के जेवर, कीमती सिरेमिक बर्तन और सोने की अंगूठियां मिल रहीं हैं। इसके कारण ऐसा माना जा रहा है कि श्रीविजय साम्राज्य काल्पनिक नहीं था।