नीतीश, अखिलेश और ममता की मुलाकात: देश में ‘Mission 2024’ को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने स्तर पर तैयारियों जुट गई हैं. बीजेपी लगातार नई-नई योजनाओं को शुरू कर जनता को लुभाने का काम कर रही है. वहीं, विपक्ष भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है और एकजुट होकर केंद्र में बैठी बीजेपी से सत्ता बेदखल करना चाहता है. आखिर ऐसा हो भी क्यों नहीं, हर कोई अपने बारे में सोचता है. उसके लिए चाहे उसे किसी भी हद तक जाना पड़े. ऐसा हम इसलिए भी कह रहे हैं, क्योंकि हम ऐसा देख रहे हैं. हाल ही में बिहार के सीएम नीतिश कुमार (Nitish Kumar) ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद सवाल उठना तो जायज है न भाई. क्योंकि, जो इंसान जब केंद्र के साइड था तब ममता और अखिलेश के खिलाफ क्या कुछ बोला होगा, यह किसी को याद नहीं. हम एक ही बात नहीं कर रहे, ममता और अखिलेश भी कम नहीं पड़ते हैं. साल 2016 में ममता ने उन्हें काफी खरी-खोटी सुनाई थी, गद्दार तक कह दिया था. और अब इतना प्यार पनप गया कि दोनों मिलकर लोकसभा चुनाव 2024 के मंथन में लग गए. चलिए जानते हैं कि इस मीटिंग में क्या रणनीति बनी?
दीदी के गढ़ में हुई मीटिंग
24 अप्रैल को सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पश्चिम बंगाल पहुंचकर सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की. इस दौरान बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे. इस दौरान तीनों ने कोलकाता में स्थित राज्य सचिवालय नबन्ना में 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बातचीत की. उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम पद के लिए नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के बीच डील पक्की हो सकती है. हालांकि, अभी कुछ भी कहना संभव नहीं है. हाल ही में बीजेपी छोड़ आरजेडी से हाथ मिलाने वाले नीतीश कुमार पीएम पद के लिए दावेदारी कर सकते हैं. वह अपने बयानों में भी संकेत दे चुके हैं. इसीलिए वो विपक्षी एकजुटता की कोशिश में जुट गए हैं. इससे पहले उन्होंने राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मुलाकात कर चुके हैं. अखिलेश यादव से भी मुलाकात अहम मानी जा रही है. दरअसल, इन मुलाकातों के बाद सियासी गलियारों में हलचल मच गई है. कहा जाए तो पूरा विपक्ष बीजेपी का सफाया करने में जुट गया है. हालांकि, मीटिंग के बाद ममता बनर्जी ने भी ऐसा कहा. उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य BJP को हटाना है. क्योंकि बीजेपी हीरो बन रही है. जिसे जीरो तो बनाना ही होगा. इसके साथ ही उन्होंने बैठक को पॉजीटिव बताया.
पवार, KCR और स्टालिन की राह पर नीतीश
बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) एनसीपी प्रमुख शरद पवार, तेलंगाना के सीएम केसीआर और तमिलनाडू के सीएम स्टालिन की राह पर चल रहे हैं. ये तीनों भी पीएम पद की रेस में चल रहे हैं. तीनों पहले ही विपक्ष को साधने की कोशिश कर चुके हैं. फिलहाल अब सीएम नीतीश ने भी यह मोर्चा संभाल लिया है. नीतीश (Nitish Kumar) पूरे देश में दौरा करेंगे और विपक्ष से मुलाकात करेंगे. बीजेपी को सत्ता से हटाना विपक्ष का मेन मॉटिव है. जिसे पूरा करने के लिए अब नीतीश कुमार पवार, केसीआर और स्टालिन की राह पर निकल गए हैं. ममता और अखिलेश से मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है. अखिलेश यादव भी यूपी में बीजेपी को टक्कर देते है. ऐसे में नीतीश कुमार को साथ मिलना काफी लाभदायक हो सकता है. चर्चा ये भी तेज हो गई है कि क्या विपक्षी दल अब 2024 के चुनाव में बीजेपी को शिकस्त देने के लिए 2004 के फॉर्मूले को अपनाएंगे?
क्या 2024 में भी दोहराया जाएगा 2004 वाला फॉर्मूला?
राजनीतिक गतिविधियों को देखकर मन में सवाल उठता है कि 2024 में भी 2004 वाला फॉर्मूला दोहराया जाएगा, उसके कई संकेत हैं. कुछ समय पहले रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस ने शिमला अधिवेशन की ही तर्ज पर समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन का प्रस्ताव पास किया. इसके बाद नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की, जिसे विपक्षी एकजुटता की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया गया था. अब आप सोच रहे होंगे कि साल 2004 में ऐसा क्या हुआ था, जिसकी तुलना अब 2024 से की जा रहा है, तो हम बताते हैं कि 2004 मे लोकसभा चुनाव होने थे. उससे पहले, साल 2003 के एंडिंग एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए. 2004 का सेमीफाइनल माने जा रहे इन चुनावों के लिए BJP ने राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया और MP में उमा भारती को CM पद का चेहरा घोषित किया था. सबसे खास बात तो यह है कि इन तीन राज्यों में ही बीजेपी को बड़ी जीत मिली थी.
मेल-मिलाप का दौर जारी
विधानसभा चुनाव में सफलता मिलने के बाद भाजपा ने शाइनिंग इंडिया का नारा दिया. हालांकि, चुनाव नतीजे आए तो सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन पिछड़ गया. उस समय सरकार का नेतृत्व अटल वाजपेयी कर रहे थे. वहीं अब दोहराया जा रहा है. कांग्रेस ने साल 2024 के आम चुनाव से पहले 2004 की ही तर्ज पर समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन की बात कही है. नीतीश कुमार पूरे देश में दौरा करेंगे. इसकी जानकारी वो पहले ही दे चुके हैं.विपक्षी एकजुटता और मेल-मिलाप का दौर चल रहा है. कई नेता विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा कौन होगा, इस पर अभी सस्पेंस जारी है.
क्या ममता दीदी देंगी साथ?
नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव की मुलाकात 2024 लोकसभा चुनाव के लिए इसलिए अहम माना जा रही है क्योंकि केंद्र में सरकार गठन के लिहाज से ये तीनों राज्य बहुत अहम हैं. उत्तर प्रदेश से लोकसभा की 80 सीटें, बिहार से 40 और बंगाल से 42 सीटें हैं, यानी इन तीन नेताओं की 545 सदस्यों वाली लोकसभा की 162 सीटों के लिए चुनाव में अहम भूमिका होगी. आपको बता दें कि नीतीश से पहले ममता बनर्जी भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के साथ विपक्षी एकता को लेकर बैठकें कर चुकी है. ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार के साथ विपक्षी एकजुटता की प्लानिंग साथ देती है या नहीं