कल्पवास के दौरान पूजा की विधि
हिंदू धर्म में माघ के महीने का महत्व है। पुराणों में इस माह को पवित्र और मोक्ष दायक माना गया है।
माना जाता है कि माघ महीने में किये गए स्नान-दान, जप और तप अक्षय फल प्रदान करते हैं।
कल्पवास करने वाले व्यक्ति को एक निश्चित समय के लिए संगम तट पर कुटिया में रहना पड़ता है।
कल्पवास में केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए। भोजन अपने हाथ से बनाकर ही करना चाहिए।
कल्पवासियों को नियमित रूप से दिन में तीन बार गंगा में स्नान करने और पूजन करने का विधान है।
कल्पवास कर रहे व्यक्ति को मन, वचन और कर्म से ब्रह्मचर्य का पालन और जमीन पर सोना पड़ता है।
कल्पवास में झूठ और अपशब्द भी नहीं बोलना चाहिए। इस समय धूम्रपान आदि भी नहीं करना चाहिए।
अंत में भगवान सत्यनारायण की पूजा का विधान है। पूजा के बाद दान देकर कल्पवास पूर्ण होता है।
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